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सस्ते विदेशी धागे ने कपड़ा उद्योग की कमर तोड़ी

locationभीलवाड़ाPublished: Oct 06, 2019 12:16:10 pm

Submitted by:

Suresh Jain

प्रदेश से धागे का निर्यात 18 सौ से घटकर 500 करोड़ पर अटकाअमरीका- चीन के बीच व्यापार युद्ध से भारत के उद्योग संकट मेंवियतनाम, इंडोनेशिया, कम्बोडिया से 10 से 12 रुपए किलो सस्ता आ रहा है धागा

Cheap foreign threads broke the back of the textile industry in bhilwara

Cheap foreign threads broke the back of the textile industry in bhilwara

भीलवाड़ा।
textile industry विदेशों से आ रहे सस्ते धागे और अमरीका व चीन के बीच रहे व्यापार युद्ध ने देश के कपड़ा उद्योग की हालत खराब कर दी है। त्योहारी सीजन में भी यह उद्योग संकट के दौर से गुजर रहा है। व्यापार युद्ध के चलते अमरीका ने चीन से कपड़ा खरीदना बन्द कर दिया है। यहां के कपड़ा उद्योग ने शीतयुद्ध के चलते पाकिस्तान को निर्यात बंद कर रखा है। इसके चलते प्रदेश में १८०० करोड़ का कपड़े का धागा निर्यात घटकर मात्र ५०० करोड़ का रह गया है।
१५ से २० प्रतिशत तक सस्ता धागा
textile industry प्रदेश में भीलवाड़ा व अन्य जिलों के टेक्सटाइल मिलों को वियतनाम, इंडोनेशिया व कम्बोडिय़ा से विस्कॉस यार्न १५ से २० प्रतिशत सस्ती दर से मिल रहा है। इसके चलते स्थानीय स्पिनिंग मिलों का माल नहीं बिक रहा है। यह धागा औसतन १० से १२ रुपए किलोग्राम सस्ता आ रहा है। जबकि स्थानीय मिलों का धागा इनके मुकाबले काफी महंगा पड़ रहा है।
ऐसे पड़ा असर
ट्रेडवार के कारण अमरीका ने चीन से कपड़ा खरीदना बन्द कर दिया। तो चीन ने इसका उत्पादन कम कर दिया। उसने कपड़े के लिए भीलवाड़ा से धागा आयात भी बन्द कर दिया। इससे पहले यहां के उद्यमियों ने पाकिस्तान को भी धागे का निर्यात बंद कर दिया था। चीन से आने वाले कपड़े और अन्य उत्पाद पर आयात शुल्क बढ़ाने से वह भारत को प्रत्यक्ष रूप से इनका निर्यात नहीं कर रहा है। वह बांग्लादेश के माध्यम से सस्ती दर पर इसे भारत में भेज रहा है।
बंद हो रहे है उद्योग
भीलवाड़ा पाली, बालोतरा, जोधपुर, भिवाड़ी, जयपुर के कपड़ा उद्योग मंदी से जूझ रहा है। पिछले दो सालों में भीलवाड़ा में २४ वीविंग इकाइयां बंद हो चुकी है। यहां तीन हजार से अधिक श्रमिकों की छंटनी की गई है।
निर्यात की बिगड़ी स्थिति
वर्ष 2018 के अप्रेल-जून के मुकाबले 2019 के अप्रेल-जून में सिर्फ सूती धागे के निर्यात में 3५ प्रतिशत की गिरावट आई है। इससे 350 करोड़ अमेरिकी डॉलर का नुकसान हुआ है। एक आंकड़े के मुताबिक, भीलवाड़ा से एक साल में करीब दस करोड़ मीटर कपड़ा विदेशों में जाता है जो घटकर ५० फीसदी ही रह गया है।
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इंपोर्ट डयूटी ३० प्रतिशत हो
राजस्थान में स्पिनिंग उद्योग पर असर पड़ा है। यूएस, चाइना में मंदी का असर भी कपड़ा उद्योग पर आया है। इससे यार्न का निर्यात कम हुआ है। वियतनाम, इंडोनेशिया जैसे कई देशों से सस्ती दरों पर धागा आ रहा है, इससे भी मार्केट में फर्क पड़ा है। विदेशों से आने वाले माल पर एन्टीडम्पिंग डयूटी लगाने या इंपोर्ट डयूटी ३० प्रतिशत करनी चाहिए।
एसएन मोदानी, चेयरमैन, राजस्थान टेक्सटाइल्स मिल्स एसोसिएशन, जयपुर
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