चांवडिया चले आइए, यहां दिखेगा दुनियां का पक्षी विहार
भीलवाडा शहर से पन्द्रह किलोमीटर दूर माण्डलगढ़ रोड पर कोटड़ी पंचायत समिति क्षेत्र में चावंडिया तालाब है। वन विभाग ने इसे नम भूमि यानि वेटलैंड के रूप में चिंहित किया है। तालाब करीब 38 हैक्टेयर क्षेत्र मेंं फैला है। यहां 66 प्रजातियों के आवास है। यहां देशी-विदेशी प्रजातियों के करीब 5000 पक्षी माह जनवरी-फ रवरी में प्रतिदिन देखे जा सकते है। जैव विविधता के रूप में पक्षियों के अतिरिक्त यहां विभिन्न प्रजातियों की मछलियां भी पाई जाती है।

भीलवाड़ा। पक्षी विहार के रूप में उभरे चावंडिया तालाब को विश्व प्रसिद्ध सांभर झील की तरह विकसित किया जाएगा। यहां देश-विदेश के पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए वन विभाग ने जिला प्रशासन के सहयोग से टूरिस्ट कार्ययोजना तैयार की है। योजना को वेटलैंड के रूप में सतह पर जल्द उतारने के लिए जिला प्रशासन ने सरकार को यह प्रस्ताव भिजवा दिया है।
भीलवाडा शहर से पन्द्रह किलोमीटर दूर माण्डलगढ़ रोड पर कोटड़ी पंचायत समिति क्षेत्र में चावंडिया तालाब है। वन विभाग ने इसे नम भूमि यानि वेटलैंड के रूप में चिंहित किया है। तालाब करीब 38 हैक्टेयर क्षेत्र मेंं फैला है। यहां 66 प्रजातियों के आवास है। यहां देशी-विदेशी प्रजातियों के करीब 5000 पक्षी माह जनवरी-फ रवरी में प्रतिदिन देखे जा सकते है। जैव विविधता के रूप में पक्षियों के अतिरिक्त यहां विभिन्न प्रजातियों की मछलियां भी पाई जाती है। तालाब के आसपास के क्षेत्र में जैकाल और नीलगाय भी समूह में देखी जा सकती है।
१६० घोसलों में अभी प्रजनन
यहां पेंटेट स्ट्रोक प्रजाति के पक्षियों का अभी प्रजनन काल होने से करीब 160 घोसले हैं। तालाब से सिंचाई अथवा पीने के रूप में पानी का इस्तेमाल नहीं किया जाता है। तालाब में गन्दा नाला या औद्योगिक अपशिष्ट नहीं छोड़ा जाता है। वेटलैंड के प्रबंधन के लिए पक्षियों के आवास के रूप में घोसले के लिए पौधरोपण, आसपास के अस्थाई अतिक्रमण हटाने से पानी के आवक के चैनल दुरस्त करने आदि कार्य करने की जरूरत है। इसके लिए पृथक प्रबंधन कार्य योजना वन विभाग बना रहा है।
उपवन संरक्षक डीपी जगावत
- चावंडिया तालाब की पहचान पक्षी विहार के साथ ही पर्यटक स्थल के रूप मेंं करने के लिए वेटलैंड की कार्ययोजना जिला प्रशासन को भिजवाई थी। जिला कलक्टर शिवप्रसाद नकाते ने जिले में पक्षी विहार व पर्यटन स्थल को बढ़ावा देने की जरूरत बताई। प्रशासन ने यह प्रस्ताव राज्य सरकार को भिजवा दिया है। चावंडिया तालाब का प्रारूप सांभर झील की भांति होगा।
एक्सपर्ट महेश चन्द्र नवहाल, जलधारा विकास संस्थान
- चावंडिया तालाब प्राचीन है। इसमें चामुंडा माता मंदिर है। लोगों की इसमें प्रगाढ़ श्रद्धा है। तालाब से सिंचाई नहीं होने के कारण पूरे वर्ष पानी रहता है। सबसे बड़ी बात है गांव के लोगों का तालाब के प्रति संरक्षण भाव है। इसी कारण तालाब में शिकार नहीं होते हैं। यहां देश-विदेश से आने वाले पक्षी सुरक्षित महसूस करते हैं। विदेशी पक्षियों का सर्दी में जमावड़ा रहता है। जलधारा विकास संस्थान वर्ष 2017 में यहां पक्षी महोत्सव करा रही है। इसमें राज्यभर के पक्षी विशेषज्ञ आते हैं। तालाब की अच्छी बात यह है कि यहां पानी रहता है पर बीच में पेड़, तालाब की रचना ऊंची, नीची होने से सभी प्रकार के पक्षियों को उसमें खड़े रहने, बैठने, तैरने की सुविधा मिल जाती। वेटलैंड के रूप में भीलवाड़ा जिले का तालाब स्वीकृत होने के बाद उम्मीद है कि यहां तालाब के संरक्षण के कार्य और भी होंगे। इसके लिए वेटलैंड मैनेजमेंट प्रोग्राम राज्य सरकार की ओर से बनाया जा रहा है, जिससे पक्षी संरक्षण भी बढ़ेगा।
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