भीलवाड़ा। तेरापंथ नगर स्थित महाश्रमण सभागार में आचार्य महाश्रमण ने कहा कि दुनिया में कभी सामान्य क्रम से रूढि़ से हटकर कोई प्रसंग का होना आश्चर्य होता है। जैन शासन में भगवान महावीर के काल तक दस ऐसी अद्भूत घटनाएं घटित हुई जो आश्चर्य कही जा सकती है। भिन्न-भिन्न तीर्थंकरों के समय घटित प्रसंगों में अनेक भगवान महावीर से जुड़े शास्त्रों में प्राप्त होते हैं। दस आश्चर्य के प्रसंग इस प्रकार है। उपसर्ग भगवान महावीर को तीर्थंकरत्व की प्राप्ति के बाद उपद्रवित करना, गर्भ संहरण देवानंदा की कुक्षी से यशोदा की कुक्षी में गर्भ का स्थानांतरण, 19 वें तीर्थंकर मल्लीनाथ का स्त्री होना। अभावित परिषद केवली होने के बाद महावीर की प्रथम देशना का खाली जाना। कृष्ण का अपरकनका नगरी में जाना। चंद्र एवं सूर्य का अपने शाश्वत विमान से भगवान महावीर के कौशांबी नगरी में वन्दना करने आना। तीर्थंकर शीतल प्रभु के समय हरिवंश की उत्पति, चमरेंद्र का उत्पाद, भगवान ऋषभ के समय एक समय में एक सौ आठ सिद्ध होना। तीर्थंकर सुविधि प्रभु से शांति प्रभु के समय तक असंयमी की पूजा होना ये सब आश्चर्य अनंत काल के बाद घटित हुए। इस तरह हमारी सृष्टि में ऐसी अनेक घटनाएं कभी घट सकती है जो स्वाभाविक नहीं होती। आचार्य ने कहा कि हमारी सृष्टि में इतने दशकों बाद कोरोना जैसी महामारी आई पहले कभी शायद ऐसी भयंकर महामारी आई होगी। जिसने पूरे विश्व को प्रभावित किया हो, इस दृष्टि से तो कोरोना को भी आश्चर्य कह सकते है। ऐसी प्रतिकूल परिस्थिति में भी व्यक्ति में समता, अभय को धारण करने का प्रयास करे और अध्यात्म साधना करते हुए ज्ञान, दर्शन, चारित्र की आराधना में आगे बढ़े यह काम्य है। मुमुक्षु रोशनी ने विचार रखे। नवरात्र पर आध्यात्मिक अनुष्ठान का मंत्र, स्तोत्र जाप संपन्न हुए।