भीलवाड़ा

कोरोना ने फिर पकड़ी रफ्तार, 131 रोगी मिले

9000 पार आंकड़ा, लगातार तीसरे दिन आंकड़ा सौ पार

भीलवाड़ाNov 22, 2020 / 09:14 pm

Suresh Jain

Corona caught speed again, 131 patients found in bhilwara

भीलवाड़ा।
सर्दी शुरू होते ही कोरोना ने रफ्तार पकड़ ली। रविवार को जिले में १३१ संक्रमित मिले। लगातार तीसरा दिन है, जब १०० से अधिक संक्रमित मिले हैं। अब कोरोना रोगियों की संख्या बढ़कर ९०३० हो गई है। अब तक १६२ लोगों की मौत हो चुकी है। कोरोना वायरस लक्षण भी बदलने लगा है। इससे नई समस्या पैदा हो गई है। पहले रैपिड टेस्ट किट की टेस्टिंग संदेह के घेरे में थी। अब कोरोना आरटीपीसीआर की जांच पर भी ज्यादा भरोसा नहीं रहा।
कई एेसे मामले सामने आए, जिनमें मरीज की रैपिड और आरटीपीसीआर जांच रिपोर्ट निगेटिव है, लेकिन मरीज सीटी स्कैन में पॉजिटिव मिल रहे हैं। जिले में रोज ऐसे दर्जनों केस आ रहे हैं, जिनकी रिपोर्ट निगेटिव है, लेकिन लक्षण कोरोना के हैं। महात्मा गांधी अस्पताल में पॉजिटिव व संदिग्ध श्रेणी के गंभीर रोगियों के इलाज के लिए २२५ बेड हैं। यहां वाइपेप एवं वेंटिलेटर ३५ से अधिक हैं।
जांच रिपोर्ट बढ़ा रही असमंजस
डॉक्टर्स के अनुसार एक तरफ रिपोर्ट निगेटिव और दूसरी तरफ सीटी स्कैन में पॉजिटिव आ रहे मरीजों को समय रहते इलाज नहीं मिलता है। दो अलग जांच रिपोर्ट होने से असमंजस पैदा हो जाता है। इससे मरीज को सही समय पर इलाज नहीं मिल पाता। जान का भी खतरा है। कोरोना का सीधा हमला फेफड़ों पर हो रहा है। एक सप्ताह से सीटी स्कैन करवाने वालों की संख्या दोगुनी हो गई है। पहले औसतन रोजाना ३५ सीटी स्कैन हो रही थी, जो अब ७० से ८० हो गई है।
फेफड़ों पर हमला
कोरोना वायरस फेफड़ों को ज्यादा क्षतिग्रस्त कर रहा है। इसी वजह से कई रोगियों को पॉजिटिव से निगेटिव होने के बाद दूसरे तरह के इंफेक्शन हो रहा है। हालांकि कुछ लोग लापरवाही बरत रहे हैं। बाजारों में न डिस्टेंसिंग और न ही मास्क की अनिवार्यता समझ रहे हैं।
…रखनी होगी सावधानी
एमजीएच अधीक्षक डॉ. अरुण गौड़ का कहना है कि कोरोना का असर सीधे फेफड़ों पर होता है। रिकवरी के बाद भी मरीज को सावधानी रखनी चाहिए। खास तौर पर डायबिटीज, ब्लडप्रेशर, ओबेसिटी पर कंट्रोल रखना जरूरी है। इस दौरान धूम्रपान और शराब का सेवन खतरनाक साबित हो सकता है। कोरोना से फेफड़े डेमेज हो जाते हैं। इससे ऑक्सीजन का फ्लो घट जाता है और सफेद चकत्ते हो जाते हैं। इसे ठीक होने में समय लग जाता है।
Copyright © 2024 Patrika Group. All Rights Reserved.