अब तक भीलवाड़ा में 25 रोगी कोरोना संक्रमित मिल चुके हैं। अब तक दो कोरोना संक्रमित रोगियों की मौत हो चुकी है। जिन रोगियों की मौत हुई उनके परिजनों में भी कोरोना पॉजिटिव पाया गया है। अब जिले में कोरोना की कम्यूनिटी में एंट्री हो चुकी हैं। इससे सरकार व प्रशासन की चिंता बढ़ गई है।
भीलवाड़ा में देश का सबसे बड़ आइसोलेशन वार्ड बना रखा है। इसमें 200 बैड है और 48 संदिग्ध भर्ती है। 6645 लोगों को घरों में बंद किया गया है। इनके घरों के बाहर पुलिस का पहरा है। 25 में से 18 रोगी तो खुद डॉक्टर व नर्सिंग स्टाफ है। बाकी सभी रोगी इनके संपर्क में आए मरीज ही है जिन्हें अब कोरोना हो गया। यह सभी मरीज शहर के बृजेश बांगड़ अस्पताल से निकले हैं।
वस्त्रनगरी में दसवें दिन भी कोरोना कर्फ्यू जारी है। पूरे शहर तथा जिले को सील कर रखा है। यहां का कोई व्यक्ति न आ सकता है और न बाहर जा सकता है। शहर के चारों सीमाओं पर पुलिस के जवान तैनात है। जिला कलक्टर राजेंद्र भट्ट व जिला पुलिस अधीक्षक हरेंद्र महावर इसकी निगरानी में लगे हैं क्योंकि भीलवाड़ा कोरोना संक्रमण का सबसे खतरनाक जिला बन चुका है।
शहर में भले कर्फ्यू है लेकिन कई लोग इसकी अहमियत को नहीं समझ रहे हैं। वे अभी भी मौका पाते ही घरों के बाहर मजमा लगा रहे हैं। फल व सब्जियों के ठेले आते ही भीड़ उमड़ रही है। चोरी-छिपे किराणा की दुकानों से राशन निकाला जा रहा है।
लोगों को लग रहा है कि वे पुलिस को चकमा देकर आ गए हैं लेकिन असल में वे खुद को ही धोखा दे रहे हैं। खुद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत वे वीडियो कांफ्रेंसिंग में चिंता व्यक्त कहा कि भीलवाड़ा को कोरोना का एपिकसेंटर बनन से रोकना होगा। भीलवाड़ा वस्त्रनगरी है। यहां करीब एक लाख श्रमिक ऐसे हैं जो बाहरी राज्यों के हैं। ये रोज कमाते-रोज खाते हैैं।
ऐसे में अब लॉकडाउन इनके लिए भारी पड़ रहा है। सभी कपड़ा फैक्ट्रियां बंद है। ऐसे में अब इनके परिवार का पालन-पोषण मुश्किल हो गया हैं। हालांकि जिला प्रशासन ने व्यवस्था कर रखी है लेकिन सब लोगों पहुंचना मुश्किल हो रहा है। ऐसे में लोग घरों से बाहर निकल रहे हैं जो कभी भी खतरा बन सकता है। भीलवाड़ा के किसी व्यक्ति को दूसरे जिलों में प्रवेश भी नहीं दिया जा रहा है।