शर्मा बताते है कि उपचार के दौरान दवा से अधिक उनका आत्मबल और नर्सिग होने का अनुभव काम आया। विकट घड़ी में महात्मा गांधी चिकित्सालय की चिकित्सा टीमए मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉण् राजन नंदाए अधीक्षक डॉण् अरुण गौड़ तथा नर्सिग टीम देवदूत बनी और उन्हें संभाला और जोश भराए उससे कोरोना के खिलाफ हमने जंग जीत ली। उपचार के दौरान हमें लगा ही नहीं हम कोरोना पीडित है।
सिर्फ दो घंटे का था बुखार
वो बताते है कि 18 मार्च से पहले उन्हें तेज बुखार आयाए हालांकि ये बुखार एक दो घंटे से अधिक नहीं रहा। श्वांस की तकलीफ कभी नहीं हुई। बांगड़ होस्पीटल के आईसीसीयू वार्ड के हम छह साथी को 18 मार्च को लगा कि कहीं हम पर कोरोना ने तो हमला नहीं कर दिया। हम सभी ब्लड के सेम्पल लेकर सबसे पहले एमजीएच पहुंचे और भर्ती हुए। इसके बाद में बांगड होस्पीटल के सीसीयू वार्ड समेत अन्य शाखाओं से भी चिकित्सक व नर्सिग पहुंचने लगे। 20 मार्च को पहली रिपोर्ट आई और मुझे व पांच अन्य की पॉजिटिव रिपोर्ट आई। हम घबराए नहीं। वो बताते है कि रिपोर्ट आने के बाद पॉजिटिव रोगियों को अलग रखा गया। यहां पर एसएमएस के ट्रीटमेंट उन्हें दिया गया। दिन में 20 से अधिक बार हाथ सेनेटराइज करतेए आपस में सभी दूरी रखते और खाने पीने में सावधानी बरतते थे।
वो बताते है कि भीलवाड़ा शहर में जिस प्रकार से शुरूआती पॉजिटिव रोगी मिलेंए उसे लगा कि भीलवाड़ा शहर देश में कोरोना पीडितों की सूची में टॉप रहेंगाए लेकिन जिला प्रशासन व चिकित्सा प्रबंधन ने जिस प्रकार से स्थिति को संभालीए उसके लिए हम सभी कृतज्ञ है।