सत्यापन के दौरान तहसीलदार लालाराम यादव रिश्वत के पीछे पड़ा तो कै लाश ने तीन तगारी (तीन लाख रुपए) देने के लिए अपने बेटे मनोज को कहा। उसके बाद रिश्वत दी गई। हालांकि कोड वर्ड को एक बार एसीबी भी नहीं समझ पाई। लेकिन पिता-पुत्र की गिरफ्तारी के बाद दोनों को मंगलवार रात आमने-सामने किया गया तो तगारी और किलो कोड वार्ड निकला। उधर, रिश्वतकाण्ड में गिरफ्तार तहसीलदार लालाराम, उसका भाई पूरणमल, दलाल कैलाश धाकड़, उसका पुत्र मनोज धाकड़ तथा रिश्वत देने का आरोपी दीपक चौधरी को बुधवार शाम को एसीबी ने भीलवाड़ा में ब्यूरो की विशिष्ठ अदालत (भ्रष्टाचार निरोधक मामलात) के समक्ष पेश किया। जहां से पांचों को जेल भेजने के आदेश दिए।
एसडीएम ने पक्ष में फैसला सुनाया, तहसीलदार को लगी भनक
एसीबी की पूछताछ में सामने आया कि २३ नवम्बर २०२० को गांधीनगर निवासी आरोपी दीपक चौधरी के पक्ष में उपखण्ड अधिकारी ने वाद में फैसला सुनाया। पुर रोड पर कांची रिसोर्ट के पीछे दीपक की पैतृक की जमीन थी। बेशकीमती जमीन पर एक कम्पनी भी अपना स्वामित्व जता रही थी। वाद का फैसले की भनक तहसीलदार लालाराम को लग गई।
कैंसर का इलाज कराने गया मुम्बई, तहसीलदार ने किया फोन
दीपक को जबड़े का कैंसर था। इलाज कराने मुम्बई गया था। इस बीच एसडीएम का फैसला आ गया। पूर्व परिचित होने से तहसीलदार ने जमीन उसके नाम करने को रिश्वत के लिए दीपक को फोन किया। दीपक ने पता किया तो फैसला उसके पक्ष में आने की बात कही।
दीपक को जबड़े का कैंसर था। इलाज कराने मुम्बई गया था। इस बीच एसडीएम का फैसला आ गया। पूर्व परिचित होने से तहसीलदार ने जमीन उसके नाम करने को रिश्वत के लिए दीपक को फोन किया। दीपक ने पता किया तो फैसला उसके पक्ष में आने की बात कही।
दलाल मनोज को लगाया फोन, कहा तहसीलदार रिश्वत मांग रहा
दीपक ने मनोज धाकड़ को फोन किया और तहसीलदार लालाराम के रिश्वत मांगने की बात कही। दीपक बाहर था। एेसे में दीपक ने कहा कि वह अभी वह राशि दे दे। वापस आकर लौटा देगा। एसीबी ने लालाराम, कैलाश और मनोज के फोन को सर्विलांस पर ले रखा था। एेसे में सारी बात रिकॉर्ड हो रही थी। मनोज ने फोन पर पिता को यह बात कोड वर्ड में कहीं। इस पर कैलाश ने बेटे मनोज को तहसीलदार को तीन लाख देने के लिए कोड वर्ड में तीन तगारी देने की बात कही। कैलाश स्मार्ट फोन नहीं रखता था। एेसे में कई बार अफसरों से सांठगांठ कर काम निकालने के लिए वाट्सअप कॉलिंग के लिए अपने बेटे के फोन का प्रयोग करता था।
दीपक ने मनोज धाकड़ को फोन किया और तहसीलदार लालाराम के रिश्वत मांगने की बात कही। दीपक बाहर था। एेसे में दीपक ने कहा कि वह अभी वह राशि दे दे। वापस आकर लौटा देगा। एसीबी ने लालाराम, कैलाश और मनोज के फोन को सर्विलांस पर ले रखा था। एेसे में सारी बात रिकॉर्ड हो रही थी। मनोज ने फोन पर पिता को यह बात कोड वर्ड में कहीं। इस पर कैलाश ने बेटे मनोज को तहसीलदार को तीन लाख देने के लिए कोड वर्ड में तीन तगारी देने की बात कही। कैलाश स्मार्ट फोन नहीं रखता था। एेसे में कई बार अफसरों से सांठगांठ कर काम निकालने के लिए वाट्सअप कॉलिंग के लिए अपने बेटे के फोन का प्रयोग करता था।
पहले कम्पनी के नम्बर दिए, फिर बदला खाता
तहसीलदार ने पहले किसी परिचित की कम्पनी के खाता नम्बर दिए। लेकिन उसे बड़ी रकम होने से विश्वास नहीं था। एेसे में उसने अपने भाई लालाराम के खाते में राशि डालने कहा। मनोज ने भी रिकॉर्ड रखने के लिए पूरणमल की कम्पनी के खाते में रिश्वत की राशि चेक से जमा कराई। ७ जनवरी को राशि पूरण के खाते में चली गई।
तहसीलदार ने पहले किसी परिचित की कम्पनी के खाता नम्बर दिए। लेकिन उसे बड़ी रकम होने से विश्वास नहीं था। एेसे में उसने अपने भाई लालाराम के खाते में राशि डालने कहा। मनोज ने भी रिकॉर्ड रखने के लिए पूरणमल की कम्पनी के खाते में रिश्वत की राशि चेक से जमा कराई। ७ जनवरी को राशि पूरण के खाते में चली गई।
खाते में राशि डलते ही निकाली, यहां आकर फंसा पूरण
बैंक खाते में आते ही पूरण ने निकाल ली। यहां आकर पूरण फंस गया। एसीबी पूरण के बैंक खाते पर नजर रखी हुई थी। खाते में राशि निकल गई। उसके बाद कुछ तकनीकी औपचारिकता पूरी होते ही एसीबी ने टे्रप का जाल बुला। एसीबी ने टे्रप कार्रवाई के तुरंत बाद पांचों आरोपियों के मोबाइल जब्त कर लिए। इनके मोबाइल को अनुसंधान में काम में लिया जाएगा।
बैंक खाते में आते ही पूरण ने निकाल ली। यहां आकर पूरण फंस गया। एसीबी पूरण के बैंक खाते पर नजर रखी हुई थी। खाते में राशि निकल गई। उसके बाद कुछ तकनीकी औपचारिकता पूरी होते ही एसीबी ने टे्रप का जाल बुला। एसीबी ने टे्रप कार्रवाई के तुरंत बाद पांचों आरोपियों के मोबाइल जब्त कर लिए। इनके मोबाइल को अनुसंधान में काम में लिया जाएगा।
बड़े अफसर फंसना था, मेहनत में सफल नहीं हुए
एसीबी सूत्रों के मुताबिक लालाराम के मोबाइल को सर्विलांस पर डालने पर भीलवाड़ा में किसी बड़े प्रशासनिक अधिकारी के भी रिश्वत के जाल में फंसने का एसीबी को अंदेशा था। लेकिन सत्यापन में साफ नहीं हो पाया। उधर, पूरण ने आनन-फानन में खाते से राशि निकाल ली। एेसे में एसीबी इंतजार नहीं कर सकती थी। हालांकि एसीबी ने अभी किसी को क्लिनचिट नहीं दी है। दस्तावेजों और तकनीकी आधार पर जांच की जाएगी।
एसीबी सूत्रों के मुताबिक लालाराम के मोबाइल को सर्विलांस पर डालने पर भीलवाड़ा में किसी बड़े प्रशासनिक अधिकारी के भी रिश्वत के जाल में फंसने का एसीबी को अंदेशा था। लेकिन सत्यापन में साफ नहीं हो पाया। उधर, पूरण ने आनन-फानन में खाते से राशि निकाल ली। एेसे में एसीबी इंतजार नहीं कर सकती थी। हालांकि एसीबी ने अभी किसी को क्लिनचिट नहीं दी है। दस्तावेजों और तकनीकी आधार पर जांच की जाएगी।
२ फरवरी तक जेल भेजा
एसीबी ने ब्यूरो की विशिष्ठ अदालत में पेश किया। जहां पर पांचों को जेल भेजने का आग्रह किया। अदालत ने पांचों को २ फरवरी तक जेल भेजने के आदेश दिए। आरोपियों की ओर से उनके वकीलों ने अदालत में जमानत प्रार्थना पत्र लगाया। जिस पर सुनवाई शुक्रवार को मुकर्रर की गई।
एसीबी ने ब्यूरो की विशिष्ठ अदालत में पेश किया। जहां पर पांचों को जेल भेजने का आग्रह किया। अदालत ने पांचों को २ फरवरी तक जेल भेजने के आदेश दिए। आरोपियों की ओर से उनके वकीलों ने अदालत में जमानत प्रार्थना पत्र लगाया। जिस पर सुनवाई शुक्रवार को मुकर्रर की गई।
बीमारी की बात कर मांगी सहूलियत
प्रोपर्टी डीलर दीपक चौधरी को अदालत में पेश करने के दौरान वकील ने अदालत से कुछ सहूलियत मांगी। वकील ने कहा कि चौधरी के जबड़े का कैंसर था। उनका ट्रीटमेंट चल रहा है। एेसे में संक्रमण को देखते हुए जेल में अलग बैरक में रखा जाए। मेडिकल जांच कराई जाए तथा बीमारी के कारण खाना घर का दिया जाए। अदालत ने किसी बात को नहीं माना।
प्रोपर्टी डीलर दीपक चौधरी को अदालत में पेश करने के दौरान वकील ने अदालत से कुछ सहूलियत मांगी। वकील ने कहा कि चौधरी के जबड़े का कैंसर था। उनका ट्रीटमेंट चल रहा है। एेसे में संक्रमण को देखते हुए जेल में अलग बैरक में रखा जाए। मेडिकल जांच कराई जाए तथा बीमारी के कारण खाना घर का दिया जाए। अदालत ने किसी बात को नहीं माना।
किस मायने की दो चौकियां: परिवादी फिर भी जाते बाहर
भीलवाड़ा में एसीबी की दो चौकियां हंै। इसके बाद भी परिवादी दूसरे जिले में जाकर भ्रष्टाचार को लेकर परिवेदना रखते हैं। भीलवाड़ा में रिश्वत का बड़ा खेल चल रहा था। इसके बाद भी दोनों चौकियों को भनक नहीं लगी। एसीबी मुख्यालय तक तहसीलदार और दलाल के खेल की सूचना पहुंच गई। पूर्व में भीलवाड़ा में एक चौकी थी। भीलवाड़ा में बढ़ते भ्रष्टाचार मामले देखते हुए सरकार ने एक और चौकी खोली। यहां भी एएसपी स्तर का अधिकारी लगाया। पर्याप्त स्टाफ और जगह दी गई। बड़े घूसखोरों को चंगुल में जाने में भीलवाड़ा एसीबी कामयाब नहीं हो रही। इसका बड़ा कारण यहां लगे कर्मचारी बरसों से टिके हैं। एेसे में परिवादी को उनकी शिकायत लीक होने का डर रहता है। कार्रवाई के दौरान सत्यापन से लेकर टे्रप करने तक कर्मचारी के पहचाने जाने का डर रहता है।
भीलवाड़ा में एसीबी की दो चौकियां हंै। इसके बाद भी परिवादी दूसरे जिले में जाकर भ्रष्टाचार को लेकर परिवेदना रखते हैं। भीलवाड़ा में रिश्वत का बड़ा खेल चल रहा था। इसके बाद भी दोनों चौकियों को भनक नहीं लगी। एसीबी मुख्यालय तक तहसीलदार और दलाल के खेल की सूचना पहुंच गई। पूर्व में भीलवाड़ा में एक चौकी थी। भीलवाड़ा में बढ़ते भ्रष्टाचार मामले देखते हुए सरकार ने एक और चौकी खोली। यहां भी एएसपी स्तर का अधिकारी लगाया। पर्याप्त स्टाफ और जगह दी गई। बड़े घूसखोरों को चंगुल में जाने में भीलवाड़ा एसीबी कामयाब नहीं हो रही। इसका बड़ा कारण यहां लगे कर्मचारी बरसों से टिके हैं। एेसे में परिवादी को उनकी शिकायत लीक होने का डर रहता है। कार्रवाई के दौरान सत्यापन से लेकर टे्रप करने तक कर्मचारी के पहचाने जाने का डर रहता है।
सिर झुकाए खड़ा रहा तहसीलदार
एसीबी कोर्ट में पेश करने के दौरान कोर्ट के बाहर तहसीलदार लालाराम सिर झुकाए खड़ा रहा। आरोपियों के कोर्ट में पहुंचते ही वकील और अन्य लोग वहां पहुंच गए। आरोपियों के कोरोना का एसीबी ने टेस्ट करवाया। जिसकी रिपेार्ट रात तक नहीं आई थी।
एसीबी कोर्ट में पेश करने के दौरान कोर्ट के बाहर तहसीलदार लालाराम सिर झुकाए खड़ा रहा। आरोपियों के कोर्ट में पहुंचते ही वकील और अन्य लोग वहां पहुंच गए। आरोपियों के कोरोना का एसीबी ने टेस्ट करवाया। जिसकी रिपेार्ट रात तक नहीं आई थी।