सूती धागे में देश पिछड़ा, भीलवाड़ा में बढ़ा उत्पादन
वाणिज्य मंत्रालय की रिपोर्ट

सुरेश जैन
भीलवाड़ा
देशभर में लॉकडाउन के दौरान सूती धागे का उत्पादन गिरा। वाणिज्य मंत्रालय की रिपोर्ट के अनुसार सूती धागे का उत्पादन औसत से ४० प्रतिशत कम हुआ। पॉलिस्टर विस्कॉस व ब्लैण्डेड यार्न का उत्पादन लगभग ५५ प्रतिशत घटा। यह आंकड़े प्रथम छह माह के है। भीलवाड़ा कॉटन एवं ब्लैण्डेड यार्न का मुख्य उत्पादन केन्द्र है, जहां मार्च २०२० में समाप्त वर्ष में सूती धागे का उत्पादन लगभग १.२० लाख टन और ब्लैण्डेड यार्न का उत्पादन लगभग २.५० लाख टन वार्षिक उत्पादन हुआ।
स्थानीय उद्योगों के अनुसार लॉकडाउन के बाद १७ मई २०२० को औद्योगिक गतिविधियां शुरू के एक माह में उद्यमी कारीगरों की व्यवस्था करने से उत्पादन कम हुआ लेकिन अब पूरी गति के साथ सूती धागे की स्पिनिंग मिल्स चल रही है।
मेवाड़ चेम्बर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के अनुसार जुलाई से अब तक औसत प्रति माह सूती धागा का लगभग ११ हजार टन तथा ब्लैण्डेड यार्न का लगभग २३ हजार टन उत्पादन हो रहा है, जो पिछले साल के मुकाबले ५ से १० प्रतिशत अधिक है। चेम्बर का मानना है कि जहां पूरा देश यार्न उत्पादन में पिछड़ रहा है, वही भीलवाड़ा की स्पिनिंग मिले कॉटन एवं ब्लैण्डेड यार्न उत्पादन बढ़ा रही है।
६० देशों में निर्यात
वस्त्रनगरी से बांग्लादेश समेत ६० से अधिक देशों में कॉटन यार्न (सूती धागा) निर्यात किया जा रहा है। यहां नितिन स्पिनर्स, सुदिवा, लग्नम तथा आरएसडब्ल्यूएम मिलांज आदि मुख्य रूप से कॉटन यार्न बना रही हैं। कंचन इण्डिया लिमिटेड, संगम ग्रुप सहित अन्य मिलें खुद के लिए कॉटन तैयार कर रही है। दोनों मिलें कॉटन यार्न का उपयोग डेनिम के लिए कर रही है। सभी मिले अब तक १२ सौ करोड़ से अधिक का निर्यात कर चुकी है।
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प्रतिमाह बन रहे ७०० सर्टिफिकेट
चालू वर्ष में सूती कपड़ा डेनिम और ब्लैण्डेड यार्न का न केवल उत्पादन बढ़ा बल्कि निर्यात में तेजी आई है। गत वर्ष जहां चेम्बर ने निर्यात के लिए औसतन ४०० सर्टिफिकेट प्रतिमाह जारी कर रहा था। वही इस वर्ष में अब तक ८ माह में ६००० हजार सर्टिफिकेट जारी किए यानी औसतन ७०० सर्टिफिकेट प्रतिमाह स्थानीय स्पिनिंग मिले बनवा रही है। इससे निर्यात में जबरदस्त तेजी आई है।
आरके जैन, महासचिव मेवाड़ चेम्बर ऑफ कामर्स
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