आज सुबह 7.42 बजे से दशमी, विदा लेंगी दुर्गा मां
भीलवाड़ाPublished: Oct 25, 2020 12:12:49 am
अष्टमी व नवमी मनाई गई
Dashami, Durga will depart from 7.42 am today in bhilwara
भीलवाड़ा।
विजयादशमी पर्व रविवार को मनाया जाएगा। इस बार न तो राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का पथ संचलन होगा और न ही नगर परिषद की ओर से सार्वजनिक रावण दहन। ऐसा पहली बार होगा जब तेजाजी चौक में रावण, कुंभकर्ण व मेघनाद के पुतले नहीं जलाए जाएंगे। तिथियों की घटत-बढ़त के कारण कई लोगों ने शनिवार को नवमी पूजन किया। शारीदय नवरात्र विजयादशमी के साथ रविवार को संपन्न होंगे। घरों व मंदिरों में घट स्थापना करने वाले विसर्जन के साथ ही मां को विदाई देंगे।
पंडित अशोक व्यास ने बताया कि शनिवार सुबह ६.५८ बजे तक अष्टमी तिथि थी। उसके बाद नवमी लग गई। रविवार सुबह ७.४१ बजे तक नवमी रहेगी। इसके बाद दशमी शुरू होगी। दशमी पर घरों से घट स्थापना का विसर्जन कर सकते हैं। दशहरे पर अबूझ मुहूर्त और रवि योग है। एेसे में विजयदशमी पर नूतन वस्तुओं का क्रय-विक्रय करना लाभदायक रहेगा। प्रात: सूर्योदय के बाद से संपूर्ण दिवस अच्छे चौघडि़ए रहेंगे। नूतन ग्रह प्रवेश, वाहन क्रय-विक्रय, आभूषण आदि खरीद सकते हैं। रविवार होने के बाद भी बाजार खुले रहेंगे।
बंगाली समाज ने शनिवार को महाष्टमी पूजन किया। अष्टमी पर सुबह मां को पुष्प चढ़ाए गए। साथ ही विशेष संधि पूजा की गई। रविवार को सुबह पूजा होगी और हवन किया जाएगा। सुहागिन महिलाओं के सिंदूर खेलने की परंपरा भी होती है। लेकिन, कोरोना महामारी के कारण महिलाएं एक-दूसरे को सिंदूर लगाने के बजाय मां के चरणों में सिंदूर चढ़ाएंगी। यह कार्यक्रम सिखवाल समाज के भवन पर होगा।
पूजी कन्याएं, हुए हवन
अष्टमी व महानवमी पर शहर के प्रमुख मंदिरों में श्रद्धालु देवी दर्शन को पहुंचे। कई जगहों पर हवन, अनुष्ठान भी हुए। कइयों ने कन्या व बटुक पूजन किया। इस बार कोरोना के कारण कई लोगों ने सावधानी रखते हुए दान-दक्षिणा की।
हरी शेवा उदासीन आश्रम सनातन मन्दिर में दुर्गा अष्टमी और महानवमी पर यज्ञ हवन पूजन किया गया। पाक्षिक महाशक्ति लीला कथा का वाचन करते योगेश्वरानन्द ने कहा कि भगवती की कथा का गूढ़ रहस्य ऐसा होता है कि जितनी अधिक भक्ति एवं श्रद्धा के साथ आराध्या का जप तप सेवा करेंगे मां की उतनी ही अधिक कृपा प्राप्त होगी। हंसराम उदासीन, संत मयाराम, संत राजाराम, संत गोविंदराम अन्य उपस्थित रहे।
श्रीमदभागवत कथा के 37वें दिन व्यासपीठ से स्वामी ने द्विविद दर्शन, पांडवों के राजसूय यज्ञ, शाल्व उद्धार सांब का विवाह आदि प्रसंगों की व्याख्या की। आरती में खंडेलवाल वैश्य समाज के अध्यक्ष महावीर खंडेलवाल, संरक्षक राम किशोर खंडेलवाल, राधेश्याम पाटोदिया, दिनेश घिया, वेद प्रकाश बनवाडी शामिल हुए। राम लीला महोत्सव में हनुमानजी द्वारा समुद्र लांघना, सुरसा सहार, मां जानकी से मिलन, अशोक वाटिका विध्वंस, लंका दहन, सेतु बंधन, रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग स्थापना, अंगद का शांति दूत बनकर जाना आदि प्रसंगों का मंचन किया।
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ग्रामीण हलकों में अष्टमी-नवमी मनाई
अरवड़ .कस्बे व क्षेत्र में दुर्गाष्टमी व नवमी मनाई गई। घरों मे दियाड़ी माता की पूजा की गई। माता को लापसी व चावल का भोग लगाया गया।
गंगापुर. नगर सहित क्षेत्र में शनिवार को दुर्गाअष्टमी का पर्व मनाया गया। घरों में दियाड़ी माता की पूजा कर कन्याओं को भोजन कराया। भरक माता सहित अन्य शक्तिपीठों पर भीड़ रहीं। कई दर्शनार्थियों ने पैदल जाकर माता के दरबार में माथा टेका।