…………. भीलवाड़ा. वस्त्रनगरी सूदखोरों के शिकंजे में फंसी जा रही है। इससे गरीब तबका सर्वाधिक प्रभावित हो रहा है। सरकारी दफ्तर से लेकर गरीब बस्तियों तक सूदखोरी का जाल फैला हुआ है। खुलेआम सूदखोर के समाजकंटक वसूली कर रहे है। पुलिस और प्रशासन आंखें मूंदे बैठा है और ब्याजखोर खुलेआम खेल खेल रहे है। पिछले पांच साल में ही सूदखोरों के जाल में फंस कर परेशानी के कारण बीस लोग आत्महत्या करके जान गंवा चुके है। इसमें कई बार परिवार ने सामूहिक आत्महत्या तक की कोशिश की।
कोरे स्टाम्प पर साइन सूदखोर कर्ज लेने वाले व्यक्ति को सरकारी दांवपेच में इस कदर उलझाते है कि वह चाहकर भी अदालत या पुलिस की कानूनी शरण नहीं ले पाता। पैसा उधार लेने वाले व्यक्ति पर कोरे स्टाम्प पर हस्ताक्षर का दबाव बनाया जाता है और मजबूरी में वह एेसा कर भी देता है। कोरे स्टाम्प और खाली चेक देने पर सूदखोर कर्जदार को ब्लैकमेल भी करते रहते है। झंझट से बचने के लिए सूदखोर अब कर्जदारों से एडवांस चेक भी ले लेते है। कर्जदारों से बीस से तीस प्रतिशत तक चक्रवृद्धि ब्याज वसूला जाता है।
हजारों शिकंजे में शहर समेत जिले में हजारों लोग सूदखोरों के जाल में फंसे हुए है। ज्यादातर नौकरी पेशा लोग सूदखोरी के शिकार है क्योंकि इनसे पैसे वसूलने की गारंटी होती है। आर्थिक मजबूरी, जुए और शराब के आदी लोग ही सूदखोरी के दलदल में फंस जाते है। गरीब बस्तियों में रहने वाले पेट की आग शांत करने के लिए भी कर्ज लेने को मजबूर होते है।
यूं फंसते है जाल में जुएं और नशे के आदी तथा आर्थिक परेशानी से त्रस्त लोग पहले घर चलाने के लिए सूदखोरों की शरण में जाते है। कई लोग सूदखोरों का कर्ज चुकाने के लिए दूसरे सूदखोरों से भी कर्ज ले लेते है इसके शिकार ज्यादातर लोग एेसे है, जो पहले से बैंक और वैधानिक संस्थाओं से कर्ज ले चुके होते है।
समाजकंटकों की फौज कई सूदखोरों ने पैसा वसूलने के लिए समाजकंटकों की फौज पाल रखी है। ये भुगतान के समय घर, निजी दफ्तर और सरकारी कार्यालयों के बाहर खुलेआम वसूली करते है। जो लोग बचने की कोशिश करते है, उनके घर जाकर वसूली की जाती है। हथियारों से लैस समाजकंटक वसूली के लिए मारपीट तक उतारू हो जाते है।
इनका कहना है सूदखोरों के खिलाफ समय-समय पर अभियान चलाया जाता है। पीडि़त के सामने आने पर सख्ती से कार्रवाई की जाती है। कार्रवाई के लिए पीडि़त को आत्मविश्वास रखना होगा।
– विकास शर्मा, पुलिस अधीक्षक, भीलवाड़ा