डेल्टा प्लस वैरिएंट से बचा सकती है टीके की दोनों डोज
भीलवाड़ाPublished: Jun 24, 2021 09:00:15 am
तीसरी लहर में कोरोना ज्यादा खतरनाक होने की डॉक्टरों की चेतावनी
डेल्टा प्लस वैरिएंट से बचा सकती है टीके की दोनों डोज
भीलवाड़ा।
जिले में कोरोना की दूसरी लहर थम गई लेकिन तीसरी लहर की आशंका ने चिकित्सा विभाग की चिंता बनाए रखी है। विभाग का मानना है कि फिलहाल कोरोना का ये वैरिएंट सिर्फ महाराष्ट्र, केरल और मध्य प्रदेश में मिला है लेकिन इसके तेजी से फैलने की आशंका है। डॉक्टरों का कहना है कि हर बार कोरोना के मामले में महाराष्ट्र भीलवाड़ा जिले से दो माह आगे रहता है। यानी डेल्टा या डेल्टा प्लस महाराष्ट्र में आने के बाद भीलवाड़ा में आने में लगभग दो माह लगता है। भीलवाड़ा का सीधा लिंक महाराष्ट्र के मुम्बई से है। यहां प्रतिदिन बड़ी संख्या में लोगों का आना-जाना रहता है। ऐसे में भीलवाड़ा में इसकी आशंका ज्यादा है।
क्या है डेल्टा प्लस वैरिएंट
आईएमए अध्यक्ष डॉ. दुष्यन्त शर्मा ने बताया कि महाराष्ट्र में कोरोना का नया वैरिएंट पिछले डेल्टा वैरिएंट के काफी करीब है। इसे एवाई.१ या डेल्टा प्लस वैरिएंट नाम दिया है। यह डेल्टा वैरिएंट के म्यूटेशन से बना है। यह डेल्टा वैरिएंट का विकसित रूप है। डेल्टा वैरिएंट पहली बार भारत में ही मिला था। देश में कोरोना की दूसरी लहर के दौरान वायरस की चपेट में आए ज्यादातर लोग इसी वैरिएंट के शिकार हुए। कोरोना का डेल्टा वैरिएंट दूसरी लहर के पीछे की वजह था।
कितना खतरनाक वैरिएंट
एमजीएच अधीक्षक डॉ. अरुण गौड़ ने बताया कि डेल्टा प्लस वैरिएंट स्पाइक प्रोटीन में म्यूटेशन के कारण खतरनाक है। यह अभी तीन राज्यों में मिला है। डेल्टा वायरस म्यूटेंट कर डेल्टा प्लस बना है। यह शरीर के इम्यून सिस्टम को चकमा देकर हमला करता है। शरीर की एंटीबाडी पहचान नहीं पाती है। इससे घातक साबित हो रहा है। डेल्टा प्लस के सामान्य लक्षणों में सूखी खांसी, बुखार, थकान, सीने में दर्द, सांस फूलना या सांस में तकलीफ , बात करने में तकलीफ , त्वचा पर चकत्ते, पैर की उंगलियों के रंग में बदलाव होना, गले में खरास, स्वाद और गंध की हानि, दस्त और सिरदर्द शामिल है।
सिंगल डोज वालों के लिए घातक
आरसीएचओ डॉ. संजीव शर्मा का कहना है कि वैक्सीन की दोनों डोज लगवाने वाले सुरक्षित हैं। उनका डेल्टा प्लस वैरिएंट से ८५ प्रतिशत सुरक्षा संभव है। जिन लोगों ने वैक्सीन की सिर्फ एक ही डोज लगवाई है, वह सिर्फ 33 फीसदी सुरक्षित हैं। इसलिए वैक्सीनेशन में लापरवाही न बरतें, समय पर दोनों डोज लगवाएं।