सदन में लोकतांत्रिक मूल्य और गरिमा बनी रहें- बिरला
भीलवाड़ाPublished: Sep 19, 2021 12:20:41 pm
लोकसभा अध्यक्ष से विशेष बातचीत
सदन में लोकतांत्रिक मूल्य और गरिमा बनी रहें- बिरला
भीलवाड़ा।
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा कि देश में पंचायत से लेकर संसद तक सदन में लोकतांत्रिक मूल्य और गरिमा बनी रहनी चाहिए। अपनी बात रखने के दौरान सदन की गरिमा बनाए रखना जनप्रतिनिधियों का पहला कर्तव्य है। सदन की गरिमा और लोकतांत्रिक मूल्य बनाए रखने के लिए सभी स्तर के जन प्रतिनिधियों से चर्चा करने की जरूरत है। लोकसभा अध्यक्ष ने शनिवार को भीलवाड़ा प्रवास के दौरान पत्रिका से विशेष बातचीत में यह बात कही।
बिरला ने कहा कि सभी लोकतांत्रिक संस्थाओं में एक मर्यादा होनी चाहिए। इसके लिए कई बार अखिल भारतीय स्तर पर सम्मेलन हुए। वर्ष १९९६, १९९७, २००१ में हुए सम्मेलनों में सभी राज्यों के मुख्यमंत्री, संसदीय कार्य मंत्री, सभी दल के नेताओं ने हिस्सा लिया था। वर्ष २००१ में सदन की गरिमा बनाए रखने की दिशा में काम हुआ था। उसके आधार पर ही मापदण्ड स्थापित किए गए। चूंकि संसद लोकतंत्र की सबसे बड़ी संस्था है। सभी के मार्गदर्शन और सुझावों पर काम करती है।
लोकसभा अध्यक्ष ने कहा कि सदन की गरिमा में आ रही गिरावट पर २० साल बाद फिर से चर्चा करने की आवश्यकता है। हम जनप्रतिनिधियों से संवाद करेंगे कि कैसे लोकतांत्रिक संस्थाओं के अन्दर संवाद हों, लम्बी देर तक चर्चा हों। किसी विषय पर सहमति या असहमति हमारे लोकतंत्र की विशेषता है।सदन में चर्चा का बेसिक स्ट्रक्चर हमेशा बना रहना चाहिए। चर्चा व संवाद से ही इस देश के लोकतंत्र में परिणाम निकले है।
बिरला ने कहा कि आजादी के पहले हमारे प्राचीन गणतंत्र को देखते है तो उस समय भी लोग पंचायत में बैठ कर चर्चा करते थे। एक दूसरे के मत जानते थे और उसमें जो सर्वसम्मति से बात बन जाती थी, वह निर्णय पंचायत करती थी। सब उसकी पालना करते थे। इसी आधार पर देश में लोकतंत्र का स्ट्रक्चर को तैयार किया। लोकतंत्र लोगों का, लोगों के लिए, लोगो के द्वारा बनाई गई संस्था है। हमारे संविधान की मूल भावना भी यह है कि जनता की चुने हुए प्रतिनिधि जनता के हितों के बारे में निर्णय करें।
लोकसभा अध्यक्ष ने कहा कि हम कोशिश करेंगे कि विश्व में भारत लोकतंत्र की मार्ग निर्देशक की भूमिका में रहे। लोकतंत्र को सशक्त बनाने की दिशा में भारत में चर्चा भी होती है। अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर भी यही चर्चा होती है। दुनिया व विश्व के मुद्दे चाहे जलवायु परिवर्तन या आंतकवाद हों, सब मुद्दों पर संसदीय स्तर पर भी चर्चा होती है।