जानकारी के अनुसार बापूनगर निवासी विमला देवी लोढ़ा (54) को किडनी की समस्या थी। हालत गम्भीर होने पर पुत्र मानवेन्द्र लोढ़ा चिकित्सकीय दस्तावेज लेकर एमजीएच पहुंचे। परिजनों का आरोप है कि डायलिसिस यूनिट अध्यक्ष डॉ. देवकिशन सरगरा ने स्वाइन फ्लू होने से विमला का डायलिसिस करने से मना कर दिया। इसके बाद परिजनों ने प्रमुख चिकित्सा अधिकारी डॉ. एसपी आगीवाल के अस्पताल में नहीं मिलने पर मोबाइल पर बात की। कई फोन करने के बाद आगीवाल ने फोन उठाया। उसके बाद उन्होंने सरगरा से बात करने की बात कहीं।
विधायक की भी नहीं सुनी, ले जाना पड़ा बाहर चिकित्सक प्रबंधक के गम्भीरता से नहीं लेने पर मानवेन्द्र ने विधायक विठ्लशंकर अवस्थी से बात की। विधायक ने डायलिसिस करने को कहा। इसके बावजूद चिकित्सकों के कान पर जूं तक नहीं रेंगी। विमला की हालत बिगड़ती गई। छह घण्टे तक मानवेन्द्र मां के इलाज के लिए एमजीएच के एक से दूसरे कमरे में चक्कर काटते रहे। लेकिन डायलिसिस नहीं होती देखकर अपराह्न बाद जोधपुर इलाज के लिए रवाना हुए। ब्यावर के निकट रात में विमला ने दम तोड़ दिया।
जोधपुर हुआ था इलाज, ठीक होने पर ले आए विमला देवी को करीब एक पखवाड़े पूर्व स्वाइन फ्लू हुआ था। उस समय उनका इलाज जोधपुर चला था। लेकिन बाद में वह ठीक हो गई। उनको डिचार्ज भी कर दिया गया था। लेकिन उनके चिकित्सकिय दस्तावेज में स्वाइन फ्लू लिखा होने से डॉक्टरों ने डायलिसिस करने से मना किया।
इनका कहना है परिजनों का फोन आने के बाद डायलिसिस यूनिट हैड को बोल दिया था। मेडिकल कॉलेज के प्रींसिपल से भी बात करवा दी थी कि डायलिसिस क्या जाए। उन्होंने डायलिसिस क्यों नहीं किया इसका पता नहीं।
– डॉ. एसपी आगीवाल, प्रमुख चिकित्सा अधिकारी, एमजीएच परिजन डायलिसिस के लिए पूछने जरूरी आए थे। मरीज को साथ लेकर नहीं आए। डायलिसिस के लिए किसी मरीज को मना नहीं किया गया। लगाए गए आरोप निराधार है।
– डॉ. देवकिशन सरगरा, यूनिट हैड, डायलिसिस