जिला औषधि नियंत्रक मनीष मीणा ने बताया कि भंडार की दुकान नम्बर एक का खुदरा औषधि अनुज्ञापत्र १४ दिसम्बर २०२० को ही समाप्त हो गया था। लाइसेंस का नवीनीकरण के लिए समयावधि में निर्धारित शुल्क जमा करना था वह नहीं करवाया इसके कारण लाइसेंस १५ दिसम्बर २०२० से ही निष्प्रभावी हो गया। इसके बाद भी दुकान के संचालक बिना लाइसेंस के लोगों को दवा बेचने व खरीदने का काम कर रहा था। जो नियमानुसार गलत है। इसकी सूचना मिलने पर गुरुवार को टीम ने मौके पर पहुंचकर जांच की तो मामला सही पाया गया। इसके आधार पर संचालक व अन्य लोगों के बयान लिए गए।
संचालक का कहना है कि उसका लाइसेंस २०२३ तक होने की जानकारी के कारण नवीनीकरण के लिए आवेदन नहीं किया था। इसकी जानकारी मिलने पर संचालक ने १८ जनवरी को ही ऑफलाइन व ऑनलाइन लाइसेंस के लिए आवेदन कर दिया था। विभाग को आवदेन पत्र मिलते ही अधिकारियों में हड़कम्प मच गया। उन्होंने आनन-फानन में आदेश निकालकर लाइसेंस को निरस्त करते हुए जांच के निर्देश दिए। मीणा ने बताया कि अनुज्ञापन प्राधिकारी ललित अजारिया के निर्देश पर जांच की गई तथा सभी आवश्यक दस्तावेज जब्त करके मामला तैयार कर न्यायालय में चालान पेश किया जाएगा।
उधर, दवा विक्रेताओं का कहना है कि जिला औषधि नियंत्रक विभाग ने पिछले एक साल से इस दुकान का निरीक्षण क्यों नहीं किया। संचालक के आवेदन करने के बाद ही औषधि नियंत्रक की नींद क्यों खुली।