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भीलवाड़ा

विद्यार्थियों में विनयशीलता का हो विकास-आचार्य महाश्रमण

18 किमी का प्रलम्ब विहार, आचार्य के ज्योतिचरण से पावन हुआ काटून्दा

भीलवाड़ाNov 24, 2021 / 07:26 pm

Suresh Jain

Development of humility in students - Acharya Mahashraman

विद्यार्थियों में विनयशीलता का हो विकास-आचार्य महाश्रमण

भीलवाड़ा।
आचार्य महाश्रमण के ज्योतिचरणों ने भीलवाड़ा जिले की सीमा को पार कर चित्तौडग़ढ़ जिले की सीमा में पड़े तो वीरभूमि ज्योतिचरणों का स्पर्श पाकर प्रफ्रुल्लित हो उठी। बुधवार प्रात: सवा सात बजे आचार्य महाश्रमण धवल सेना के साथ बरुन्दनी के मुनिकुल ब्रहम्मचर्याश्रम वेद संस्थान से विहार किया। पाण्डवों का भंवरिया पर आचार्य महाश्रमण ने कुछ समय विश्राम किया। उन्हें कांग्रेस नेता विवेक धाकड़ ने पाण्डवों का भंवरिया के महत्व से अवगत कराया।
मार्ग में मखनगंज, बिछोर, तेजपुर सहित कई गांवों के श्रद्धालुओं को मंगल आशीष से आच्छादित करते काटून्दा पहुंचे। महीनों से आचार्य के ज्योतिचरण से पावन स्पर्श और मंगलवाणी का लाभ उठाने वाला भीलवाड़ा जिला पीछे छूट गया। आचार्य की अहिंसा यात्रा अब चित्तौडग़ढ की सीमा में गतिमान हो चली। लगभग अठारह किलोमीटर का प्रलम्ब विहार कर आचार्य दोपहर लगभग साढ़े बारह बजे कोटून्दा स्थित राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय के प्रांगण में पधारे। ग्रामीणों व विद्यालय परिवार की ओर से ढोल-नगाड़े के साथ अभिनन्दन किया।
विद्यालय में प्रवचन में आचार्य ने कहा कि विद्यार्थियों में विनय का विकास होना चाहिए। जो आदमी विनयशील, अभिवादनशील और वृद्धों की सेवा करने वाला होता है। उसकी आयु, विद्या, बल और यश में वृद्धि होती है। विद्यार्थियों में ज्ञान के साथ विनय का भाव भी पुष्ट हो तो महत्वपूर्ण बात हो सकती है। विनय का भाव पुष्ट रहे और मन किसी भी प्रकार के अहंकार से मुक्त रहे तो मानव जीवन का समुचित विकास संभव हो सकता है।
आचार्य ने शिक्षकों, विद्यार्थियों व ग्रामीणों को अहिंसा यात्रा की जानकारी देते हुए तीनों संकल्पों को स्वीकार करने का आह्वान किया तो सभी ने खड़े होकर आचार्य के तीनों संकल्पों को स्वीकार किया। विद्यालय के प्रधानाध्यापक राजेश कुमार ने आचार्य का स्वागत किया।
साध्वी चन्द्रिका व भीलवाड़ा में प्रवासरत मुनि दर्शनकुमार के प्रयाण के संदर्भ में आचार्य के सानिध्य में स्मृति सभा भी हुई। आचार्य ने दोनों चारित्रात्माओं का परिचय देते उनके आत्मा के प्रति मध्यस्थ भाव के साथ चार लोगस्स का ध्यान करवाया। मुनि महावीरकुमार, साध्वी विश्रुतविभा, साध्वी संबुद्धयशा, साध्वी मुदितयशा, साध्वी ऋद्धिप्रभा, मुनि योगेशकुमार, कीर्तिकुमार, मुनि ऋषभकुमार व मुनि कोमलकुमार ने भी दोनों चारित्रात्माओं के प्रति अपनी भावांजलि अर्पित की।
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