प्रकरण के अनुसार कृष्णा मोहल्ला के महेश कुमार जैन ने परिवाद में बताया कि उसने पूरे परिवार का मेडिक्लेम वर्ष-2007 में करवाया। उसने नो-क्लेम बोनस के आधार पर प्रतिवर्ष बीमाधन बढ़ाते वर्ष-2014-15, 2015-16 में डेढ़ लाख रुपए करवाया। वर्ष-2016-17 में सिल्वर प्लान के अंतर्गत दो लाख रुपए की पॉलिसी कराई। इसका प्रीमियम भी कम्पनी को दे दिया। पॉलिसी की प्रभावी अवधि के दौरान 29 अक्टूबर को परिवादी के हृदयघात आ गया तो उसने भीलवाड़ा के निजी अस्पताल में इलाज करवाया। स्थिति नाजुक होने पर अहमदाबाद में इलाज कराया। वहां हार्ट में स्टंट डाले गए।
इस पर चार लाख रुपए खर्च हुए। परिवादी ने पॉलिसी के साथ समस्त दस्तावेज लगाकर ओरियंटल इंश्योरेंस कम्पनी के यहां पुनर्भरण के लिए बिल पेश किया। बीमा कम्पनी ने केवल 1 लाख 35 हजार रुपए स्वीकृत किए जबकि पॉलिसी दो लाख रुपए की थी। इसकी सूचना मिलने पर परिवादी ने बीमा कम्पनी से सम्पर्क किया। लेकिन बीमाधन अदा नहीं की किया।