Mahatma Gandhi Hospital अस्पताल अधीक्षक डॉ. अरुण गौड़ ने बताया कि अस्पताल में १५ साल पुरानी एम्बुलेंस का उपयोग कॉल ड्यटी के लिए किया जा रहा है। उसकी मरम्मत पर ६.५० लाख रुपए खर्च हो चुके हैं। आपातकालीन सेवाएं सुचारू बनाए रखने के लिए नया वाहन आने तक किराये पर लिया जाएगा। जिला कलक्टर को पत्र लिखकर सीएसआर या डीएमएफटी फंड से नया वाहन दिलाने का आग्रह किया जाएगा। अन्य संसाधनों के लिए सांसद व विधायक से मदद ली जाएगी। इसके अलावा अस्पताल के आइसीयू व सीसीयू वार्डों के दरवाजे हाईटेक बनाएं जाएंगे। सीएसआर एक्टिविटी के तहत हरमेटिक सील्ड डोर लगाए जाएंगे। इसके लिए भामाशाहों की मदद ली जाएगी। एलिजा टेस्ट के लिए ५० हजार की लागत से बैटरी बेकअप उपलब्ध कराया जाएगा। आयुष भामाशाह योजना से जुड़े रोगियों को हाथोंहाथ लाभ मिले इसके लिए आउटडोर में रजिस्ट्रेशन काउंटर के पास एक कम्पयूटर लगाया जाएगा। बैठक में सरकार तथा आरपीसीएल में अटके भुगतान तथा एमआरएस के बजट में बढ़ोतरी पर भी चर्चा हुई।
१.१२ करोड़ की राशि बकाया
डॉ. नन्दा ने बताया कि सरकार से विभिन्न मदों में करीब १.१२ करोड़ रुपए की राशि बकाया है। इसके लिए कई बार मांग की जा चुकी है। इससे ऐसे में अस्पताल का सुधार एवं विकास अटक रहा है। आरएमआरसी का खजाना खाली है। अस्पताल के बिजली बिल का भुगतान अस्पताल कोष से करना पड़ रहा है। सरकार से राशि समय पर मिले, इसके लिए उपनियंत्रक डॉ. देवकिशन सरगरा को जिम्मेदारी सौंपी गई। सरकार में 50 लाख, ५० लाख अन्य मद तथा १२ लाख आरसीपीएल में बकाया है। बैठक में डॉ. राजेन्द्र लोढ़ा, उपनियंत्रक डॉ. सरगरा, डॉ. नेमीचंद जैन, डॉ. जीवी दिवाकर, डॉ. रामावतार बैरवा, डॉ. राकेश गर्ग सहित अन्य सदस्य उपस्थित थे।