किसानों ने बताया कि पहले समय पर कृषि सलाह नहीं मिलने से मनमर्जी से दवा का उपयोग करते थे इससे फसल खराब का डर रहता था। अब कृषि विभाग की सलाह फसलों को जीवनदान मिलने लगा है। मोबाइल के बढ़ते उपयोग व इंटरनेट के उपयोग के कारण यह बदलाव आया है। सुवाणा के बद्रीलाल 25 सालों से खेती कर रहे हैं। अब मोबाइल एप के माध्यम से जानकारी लेते हैं। इससे किसानों की राह आसान हो गई है।
विभाग कर रहा खेती री बातां इन दिनों गांवों में किसानों के पास भी एंडायड मोबाइल है। एेसे में कृषि विभाग की वेबसाइट पर खेती री बातां कॉलम है। इसमें कौनसी फसल के बारे में क्या सावधानी रखनी है यह जानकारी उपलब्ध करवाई गई है।
टोल फ्री नंबर पर भी मिल रहे जवाब कृषि विभाग ने कई तरह के नंबर भी जारी कर रखे हैं। इन नंबरों पर किसान फोन कर खेती के बारे में जानकारी ले रहे हैं। साथ ही अभी फसलों में कौनसी बीमारी है और अब क्या सावधानी रखनी है इसके बारे में भी विभाग की ओर से मोबाइल पर संदेश भेजकर मार्गदर्शन दिया जा रहा है।