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केस-02 भीलवाड़ा के चित्तौडग़ढ़ रोड पर रहने वाले व्यवसायी कमल कुमार (बदला नाम) ने आजाद चौक में दुकान लगाने के लिए लाखों रुपए उधार लिए। उसके बाद लॉकडाउन लगने से कर्ज नहीं चुका पाया। सूदखोरों ने परेशान किया। इससे व्यवसायी ने परिवार समेत जहर खा लिया। व्यवसायी और उसकी पत्नी की मौत हो गई जबकि बेटा बच गया।
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भीलवाड़ा. यह महज उदाहरण है। सूदखोरों के आंतक ने कई परिवारों को तबाह तक कर दिया। किसी महिला का सिंदूर छीन लिया तो किसी बच्चे के सिर से बाप का साया उठा दिया। पिछले पांच साल में अीस से ज्यादा लोग सूदखोरों के आतंक के कारण असमय जान देने को मजबूर हुए है। शहर ही नहीं सूदखोरों का जिले तक में आतंक बरकरार है। ब्याज के दम पर चांदी कूट रहे सूदखोरों पर प्रभावी कार्रवाई नहीं होने से यह हालात बने हुए है।
सूदखोर कम समय के लिए ब्याज पर उधार देते है। कोई पांच प्रतिशत तो कई दस से तीस प्रतिशत तक ब्याज वसूलता है। ब्याज नहीं दे पाने की स्थिति में ही दिन के हिसाब से पेनल्टी ली जाती है। यह पेनल्टी सौ से पांच सौ रुपए तक होती है। ब्याज में पेनल्टी जोड़कर वसूल किया जाता है। पहले से ब्याज नहीं दे पाने की स्थिति में कर्जदार पर पेनल्टी जुड़कर बोझ दोगुना हो जाता है। उसके बाद सूदखोर घर और दफ्तर आकर कर्जदार को धमकाते है। इससे परिवार भयभीत हो जाता है। कई बार घर के गहने गिरवी रखकर ब्याज और पेनल्टी चुकानी पड़ती है।
हादसे के बाद चेतती पुलिस सूदखोर के आतंक को लेकर पीडि़त व्यक्ति पुलिस के पास पहुंचता है तो अधिकांश मामलों में पुलिस रूचि नहीं लेती है। रिपोर्ट लेकर कोने में रख दी जाती है। इससे सूदखोरों के हौसले बुलंद होते है। थकहार कर पीडि़त मौत को गले लगाता है। उसके बाद थाना पुलिस चेतती है।
डराने के हथियार स्टाम्प और चेक सूदखोर ब्याज देने से पहले कर्जदार से खाली चेक और स्टाम्प ले लेते है। आर्थिक परेशान व्यक्ति चेक और स्टाम्प देने को मजबूर होता है। पीडि़त मूलधन या ब्याज नहीं चुका पाता है तो स्टाम्प और खाली चेक से डराया जाता है। कई बार पीडि़त की सम्पति खाली स्टाम्प में अपने नाम करा लेते हैं।
पुलिस की लापरवाही हाई प्रोफाइल जिंदगी के चक्कर में लोग सूदखोरों के चंगुल में आ जाते हैं। पुलिस के तत्काल कार्रवाई नहीं करने से सूदखोरों का आतंक बढ़ रहा है। सूदखोरों से पुलिस सांठगांठ तक कर लेती है। जो ब्याज का काम कर रहा है उसके पास मनीलेंडिंग लाइसेंस होना चाहिए। सूदखोरों के खिलाफ धोखाधड़ी, ब्लैकमेलिंग में मामला दर्ज होना चाहिए। पीडि़त की तत्काल एफआईआर दर्ज की जाए। जो पुलिसकर्मी लापरवाही बरते उनको निलंबित किया जाए।
– सुरेश श्रीमाली, कॉ-चेेयरमैन, बार काउंसिल ऑफ इण्डिया, दिल्ली