जहां से चले थे फिर उसी मोड पर आ खड़े हो गए
भीलवाड़ाPublished: May 07, 2021 10:44:38 pm
20 मार्च 2020 को लगा था पहला लॉकडाउन 54 दिन के लिएअब फिर 10 मई से लग रहा लॉकडाउन
जहां से चले थे फिर उसी मोड पर आ खड़े हो गए
भीलवाड़ा।
जिले में कोरोनाकाल के 14 महीने पूरे होने को आए है। अब तक 28 हजार 301 लोग संक्रमित हो चुके और 535 लोगों ने दम तोड़ दिया है। कोरोना पर काबू करने के लिए राजस्थान में सबसे पहले भीलवाड़ा में २० मार्च को लॉकडाउन लगा था। इस दौरान हालात सुधरने भी लगे। सितंबर व नवंबर में पहली लहर का एक और पीक आया, लेकिन इस दौरान भी जिले में ज्यादा केस आए। हालांकि मौतें और गंभीर मरीजों का अंाकड़ा कम था। २६ जनवरी २०२१ मार्च को जिले में एक मात्र कोरोना संक्रमित आया था। लेकिन अप्रेल में फिर से दूसरी लहर ने जिले में प्रवेश किया। इसके बाद हालात ऐसे हो गए कि हर दिन में 500 से ज्यादा मरीज सामने आने लगे। संक्रमण फैलने लगा और गांवों तक पहुंचा और फिर से हम लॉकडाउन पर आ खड़े हुए। क्योंकि 3 से 17 मई तक राज्य सरकार ने एक बार फिर महामारी रेड अलर्ट जन अनुशासन पखवाड़ा (लॉकडाउन) लगाया है। इधर, राज्य सरकार की ओर से एक बार फिर 10 मई से 24 मई तक सख्त लॉकडाउन लगा दिया गया है।
भामाशाह आए आगे, करोड़ों रुपए का किया सहयोग
गत साल 2020 में कोरोना महामारी के दौरान लॉकडाउन की घोषणा के बाद कई चीजों का संकट आया। सबसे बड़ा संकट खाने का था। इसके लिए जरूरतमंद लोगों तक कैसे खाना व राशन पहुंचाया जाए। इसके लिए जिले के भामाशाह उद्योगपति आगे आए और प्रशासन के सहयोग से मुहिम शुरू की जिले में कोई भूखा न सोए। इसके बाद घर-घर तक खाने के पैकेट और राशन सामग्री तक निशुल्क वितरित की गई। मेवाड़ चेम्बर के सदस्यों ने करीब २२ करोड़ का सहयोग जिले से लेकर देश तक के लिए किया। नगर विकास न्यास की ओर से राशन सामग्री के किट जरुरतमंदों लोगों तक पहुंचाए गए थे। कई सामाजिक संगठनों ने भोजन के पैकेट वितरित किए थे।
लॉकडाउन की सुनते ही मजदूरों का पलायन
लॉकडाउन की खबर सुन प्रवासियों का पलायन शुरू हो गया। उत्तरप्रदेश, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात, कर्नाटक समेत अन्य राज्यों के अप्रवासी भीलवाड़ा से लौटने लगे है। पिछले साल भी कई अप्रवासी तो पैदल ही अपने घर चले गए थे। हालांकि इस बार सिन्थेटिक्स विविंग मिल्स एसोसिएशन समेत अन्य औद्योगिक सगंठनों ने मजदूरों के रूकने व खाने की व्यवस्था की जा रही है। हालांकि भीलवाड़ा में रह रहे मजदूरों व प्रवासियों में घबराहट का माहौल है। कई लोग तो घरों की ओर लौटने लगे हैं। कइयों ने जाने की तैयारी शुरू कर दी है। रेलवे स्टेशन व रोडवेज बस स्टैंड पर पूछताछ व रिजर्वेशन की रफ्तार बढने लगी है। परिवहन के साधन बंद होने से पहले ये लोग घर पहुंचना चाहते हैं। टेक्सटाइल उद्योगों में काम करने वाले लोग अधिकांश अन्य राज्यों के है। इनमें बिहार, उत्तरप्रदेश, मध्यप्रदेश व ओडि़शा राज्यों के लोग शामिल हैं। शुक्रवार को रेलवे स्टेशन व रोडवेज बस स्टैंड पर पूछताछ के लिए कतार नजर आई। कई प्रवासी व मजदूर तो परिवार को लेकर रवाना भी हो गए।