उर्स का झंडा चढ़ाने की यह रस्म भीलवाड़ा के लाल मोहम्मद गौरी के पोते फ खरुद्दीन गौरी, सैयद मारूफ अहमद साहब की सदारत में अदा की जाएगी। यह रस्म असर की नमाज के बाद अजमेर में दरगाह गेस्ट हाउस से झंडे का जलसा रवाना होगा, जो लंगर खाना गली व निजाम गेट से दरगाह पहुंचेगा। यहां से दरगाह के बुलंद दरवाजे पर चढ़ाया जाएगा। यह रस्म सूफि याना कलाम व 25 तोपों की सलामी के साथ पूरी होगी। bhilwara Gauri family in Ajmer Urs
झंडा चढ़ाने के लिए भीलवाड़ा के फ खरुद्दीन गौरी के साथ ही अब्दुल लतीफ गौरी, बख्तियार अहमद गौरी, दाऊद गौरी, अब्दुल रऊफ गौरी, शब्बीर अहमद गौरी, अशफाक गौरी, मोहम्मद रफ ीक गौरी, मोहसिन गौरी, फैजान गौरी, अमान गौरी, तौकीर गौरी, तौफ ीक गौरी सहित परिवार के 40 सदस्य १८ फरवरी को जाएंगे।
76 साल पुरानी रस्म
भीलवाड़ा का गौरी परिवार उर्स पर झंडा चढ़ाने की रस्म 76 वर्ष से निभा रहा है, झंडा चढ़ाने की परंपरा 1928 में पेशावर के हजरत सैयद अब्दुल सत्तार बादशाह जान रहमतुल्ला अलैह ने शुरू की थी, इसके बाद 1944 से भीलवाड़ा के लाल मोहम्मद गौरी का परिवार निभा रहा है, गौरी परिवार के लाल मोहम्मद गौरी ने 1944 से 1991 तक यह रस्म निभाई उनके बाद मोइनुद्दीन गौरी ने 2006 तक रस्म निभाई, इसके बाद फ खरुद्दीन गौरी ये रस्म निभा रहे हैं।