शिक्षा अधिकारियों ने मौके पर पहुंचकर छात्राओं को समझाइश का प्रयास किया, लेकिन वे जिला कलक्टर को मौके पर बुलाने के लिए अड़ गई। बाद में मौके पर पहुंची एसडीएम ओमप्रभा ने छात्राओं से बात की और स्कूल में टॉयलेट निर्माण का आश्वासन दिया। तब छात्राओं ने धरना-प्रदर्शन समाप्त किया।
भीलवाड़ा शहर के उपनगर पुर में नागौरी मोहल्ला स्थित राजकीय बालिका उच्च माध्यमिक विद्यालय की छात्राओं ने अपनी मांगों को लेकर बुधवार को बस स्टैंड रोड पर धरना दिया। इससे पांच घंटे रास्ता जाम रहा। इस दौरान एक छात्रा की तबीयत बिगड़ गई। छात्राएं स्कूल के जर्जर भवन व टॉयलेट की मरम्मत कराने की मांग कर रही थी। समझाने आए शिक्षा अधिकारियों को भी छात्राओं ने बैरंग लौटा दिया। इसके बाद भीलवाड़ा से उपखंड अधिकारी ओमप्रभा पुर पहुंची और स्कूल व टॉयलेट की मरम्मत का आश्वासन देकर धरना समाप्त कराया।
मिली जानकारी के अनुसार, शिक्षा अधिकारी स्कूल का जर्जर भवन व दूसरी मंजिल के टॉयलेट की मरम्मत का आश्वासन कई बार दे चुके हैं। छात्राओं को शिकायत है कि पहली मंजिल पर केवल एक टॉयलेट था, जो 630 छात्राओं के लिए अपर्याप्त है। बुधवार को स्कूल की पहली पारी शुरू होने के समय सुबह 7 बजे छात्राएं पुर के बस स्टैंड पहुंच गई। नारे लगाते हुए सड़क पर बैठ गई। रास्ता जाम हो गया। छात्राओं के समर्थन में लोग भी आ गए।
सूचना मिलने पर कार्यवाहक मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीडीईओ) योगेशचंद्र पारीक, डीईओ बंशीलाल कीर व अतिरिक्त सीबीईओ अब्दुल शाहिद पुर पहुंचे। उन्होंने छात्राओं को समझाने की कोशिश की। छात्राएं जिला कलक्टर को मौके पर बुलाने पर अड़ गई। सुबह 11:30 बजे एसडीओ ओमप्रभा पहुंची और छात्राओं को आश्वस्त किया कि पुर में जितने भी जर्जर स्कूल भवन हैं, उनकी मरम्मत कराई जाएगी। टॉयलेट सुधारे जाएंगे। दोपहर 12 बजे छात्राओं ने धरना खत्म किया।
समर्थन में उतरे लोग-
पुर में लोगों ने धरना दे रही छात्राओं को केले बंटवाए व पेयजल की व्यवस्था की। धरना समाप्त करा एसडीएम स्कूल पहुंची तो उन्हें बताया गया कि प्रिंसिपल 31 अगस्त को रिटायर हो गई। कोई भी शिक्षिका प्रिंसिपल का चार्ज लेने को तैयार नहीं है। एसडीएम ने भूगोल के व्याख्याता योगेश दाधीच को प्रिंसिपल का चार्ज सौंपने के आदेश दिए।
पहले भी दिया था धरना-
पुर के विद्यालय की छात्राओं ने पहले भी धरना दिया था। उनकी मांग भी जर्जर भवन की मरम्मत, कक्षा कक्ष की कमी दूर करने की थी। तब भी अधिकारियों ने जल्द मरम्मत करवाने का आश्वासन दिया था, पर हुआ कुछ नहीं।