भगवान खुद सनातन धर्म के स्वरूप
भीलवाड़ाPublished: Sep 22, 2020 09:23:09 pm
हरीशेवा उदासीन आश्रम में कथा
God himself the nature of Sanatan Dharma in bhilwara
भीलवाड़ा।
हरीशेवा उदासीन आश्रम सनातन मंदिर में पुरुषोत्तम कथा के पांचवे दिन मंगलवार को व्यासपीठ से कथा प्रवक्ता योगेश्वरानंद ने कहा कि भगवान स्वयं सनातन धर्म के स्वरूप हैं। वे सनातन धर्म की पुनस्र्थापना व सुरक्षा के लिए हर युग में समाज सुधारक, संत, महापुरुष और राम कृष्ण आदि के रूप में अवतरित होते रहे हैं। जो भगवान द्वारा संस्थापित धर्म मर्यादा का पालन करते हैं, उन्हें सात्विक, सुख, समृद्धि की प्राप्ति होती है। वैदिक साहित्य के बिना सनातन धर्म का परिचय प्राप्त करना कठिन है। सनातन धर्म, जन्मभूमि एवं स्वराष्ट्र की रक्षा के लिए वेदों का अवलोकन तथा वेद मूलक पुराण आदि का वाचन पठन और श्रवण जरूरी है। प्रतिदिन ब्राह्मणों की ओर से वैदिक मंत्रोचार के साथ पाठ आदि हो रहे हैं।
श्रीमदभागवत कथा के तहत भगवान शुकदेव व सम्राट परीक्षित के चरित्रों पर प्रकाश डाला गया। कथावाचक ने कहा कि भगवान शुकदेव की भांति सर्वदा भगवत चिंतन पारायण और निरपेक्ष होना चाहिए। जो साधक आत्म कल्याण व भागवत प्राप्ति के लिए सम्राट परीक्षित की भांति राज सिंहासन आदि सर्व अपेक्षित प्रतिष्ठा का परित्याग करने में समर्थ हो, वही श्रीमद् भागवत का सच्चा श्रवण अधिकारी बन सकता है। श्रीधाम वृंदावन से राधारानी सरकार की युगल छवि बरसाने की रासलीला मंडल व संगीतकारों ने रासलीला में दर्शाई। आरती के समय शंकरलाल गांछा, डॉक्टर हेमेंद्र सिंह, धनराज गांछा ने माल्यार्पण व पूजन अर्चन किया। महंत हंसराम उदासीन, संत मयाराम, संत राजाराम व संत गोविंद राम भी उपस्थित थे।