Green sundry infestation in gram crop संयुक्त निदेशक कृषि रामगोपाल नायक ने सभी कृषि अधिकारियों को खेतों में जाकर किसानों को उचित दवा का छिड़काव करने की सलाह देने के निर्देश दिए हैं। इस समय सूंडी का प्रकोप आना स्वाभाविक है, लेकिन समय रहते इसे नष्ट करना जरूरी है। किसानों को चाहिए कि वे कृषि विभाग से सलाह लेकर उचित मात्रा में दवा का छिड़काव करें। ऐसा करने पर ही चने की फसल को कीटों के प्रकोप से बचाना संभव होगा। जिले में इस रबी सीजन में करीब एक लाख हेक्टेयर से अधिक में चने की बुवाई हुई है। प्रति हेक्टेयर करीब 11 क्विटल चना उत्पादन का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। निर्धारित लक्ष्य के अनुसार उत्पादन हो सके, इसके लिए फसलों को कीट से बचाना आवश्यक है। जरा सी लापरवाही उत्पादन प्लान को बिगाड़ सकती है।
चट कर जाती है पत्ते
चट कर जाती है पत्ते
रबी फसल को नवंबर व दिसंबर में सबसे अधिक खतरा हरी सूंडी नामक कीट से रहता है। यह कीट रात के समय अधिक सक्रिय रहता है। नवंबर के अंतिम सप्ताह में मादा कीट जड़ों के आसपास अंडे देती है और तीन-चार दिन बाद इनमें से सुंडी निकलकर छोटे पौधों को काट देती है। और बड़े पौधों के पत्तियों व इनकी कोमल शाखाओं को चट कर जाती है।
अधिकारियों ने किया दौरा
चने की फसल में हरी सुंडी के प्रकोप को लेकर टीम ने सुवाणा, भोली, हलेड़, दांथल, कोदूकोटा, रूपाहेली, धूमड़ास के खेतों का दौरा किया। इस दौरान कृमि कीट वैज्ञानिक डॉ. किशन जीनगर, कृषि उपनिदेशक रामपाल खटीक, आत्मा परियोजना निदेशक डॉ. जीएल चावला सहित अन्य अधिकारी साथ थे।
चने की फसल में हरी सुंडी के प्रकोप को लेकर टीम ने सुवाणा, भोली, हलेड़, दांथल, कोदूकोटा, रूपाहेली, धूमड़ास के खेतों का दौरा किया। इस दौरान कृमि कीट वैज्ञानिक डॉ. किशन जीनगर, कृषि उपनिदेशक रामपाल खटीक, आत्मा परियोजना निदेशक डॉ. जीएल चावला सहित अन्य अधिकारी साथ थे।