जिला मुख्यालय से महज बीस किलोमीटर दूर स्थित हमीरगढ़ वनखंड का स्वरूप हमीरगढ़ इको पार्क के रूप में जाना जाता है। भारतीय सर्वेक्षण विभाग की जीटी शीटस के अनुसार हमीरगढ़ वनखंड की लम्बाई पांच किलोमीटर एवं चौड़ाई 1.6 किलोमीटर है। जबकि राजस्व रिकार्ड के अनुसार वनखंड का भौगोलिक क्षेत्रफल 572.35 हैक्टेयर है, जिसमें हमीरगढ़ के आराजी नम्बर २९२७,२९४३ एवं २९४४ और राजस्व ग्राम बराठिया के आराजी नम्बर 182 व 168 है। वनखंड के समीप हमीरगढ़, मंगरोप,दर्री, बराठिया, बावरियों की झोपडिय़ा, काबरा, बिहारीपुरा, मूणपूरा गांव स्थित है। इस वन क्षेत्र को पांच कम्पार्टमेंट में विभक्त किया गया है। ये समुद्र तल से ४१० मीटर से ४६० मीटर तक की ऊंचाई पर अवस्थित है। वनखंड में ४६ पक्के मीनारे है जो अभी भी ठीक हालत में है।
प्रदेश में कोरोना संकट के कारण वन्य जीव गणना वर्ष 2021 में नहीं हो सकी। वर्ष २०२० की जीव गणना के अनुसार यहां हमीरगढ़ इको पार्क में सर्वाधिक नीलगाय है, इनकी संख्या 171 है। जबकि मोर १६२, गीदड़ ७०, जरख ०७, लोमड़ी १०, चिंकारा ३२,, सेही ०३ है। जंगली बिल्ली, नेवला, खरगोश की संख्या भी कम नहीं है। इसी प्रकार वन्य पक्षी भी यहां पाए जाते है। लेकिन शिकारियों की घात आज भी यहां वन्य जीवों को लील रही है। वनखंड क्षेत्र की चहारदीवारी कई हिस्सों में नहीं होने से लोग अवैध रूप से वृक्षों की भी कटाई कर रहे है।
हमीरगढ़ वनखंड पचास से अधिक प्रजातियों के पौधे व पेड़ जैव सम्पदा को समेटे हुए है। इस वनस्पति के संरक्षण व बचाव पर अधिक है। इसी प्रकार जैव विविधता का संरक्षण एवं वन्य जीवों का संरक्षण तथा विकास, पारस्थितिकी संतुलन को बढ़ावा देने के लिए वन खंड को कन्जरेवशन के दायरे में लाया है। चारा एवं ईंधन की वैकल्पिक व्यवस्था, स्थानीय लोगों की भागीदारी सुनिश्चित कराना व स्थानीय लोगों को रोजगार उपलब्ध कराना मुख्य प्राथमिकता है।
प्रस्तावित है यह कार्य
शाकाहारी जीव चिंकारा के संरक्षण एवं संवद्वन के लिए चारागाह विकसित करना, भू-जल संरक्षण के कार्य नाडी एनिकट के निर्माण तथा सूखते जलस्रोतों को विकसित करना, वनखंड से जुडी आठ गांवों की सीमा को पक्की कराने, वॉच टॉवर की सुधार कर इकोटयूरिज्म स्थल का विकास करना
राज्य सरकार को हमीरगढ़ कन्जरवेशन रिजर्व घोषित करना चाहिए ताकि हमीरगढ़ वन खंड का विकास हो सके। यहां एतिहासिक व पौराणिक धरोहर के संरक्षण की भी जरूरत है। वनखंड में जर्मन झाडिय़ां खतरे की घंटी बनी हुई है, इसे वन विभाग को नष्ट कर सुरक्षित घास बीड विकसित करनी चाहिए। वनखंड क्षेत्र की चहारदीवारी का कई हिस्सों में पूर्ण निर्माण नहीं हो सका है, इससे वन्य जीव सुरक्षित नहीं है। शिकारियों का खतरा मंडराया रहता है। अवैध रूप से पेड़ों की कटाई करने वाले लोगों पर भी प्रभावी अंकुश नहीं लग सकता है।
हमीरगढ़ कन्जरवेशन रिजर्व घोषित करने के लिए राज्य सरकार को फाइल भिजवा रखी है, सरकार ने जो कमियां बताई, उसे दूर किया गया है। रिजर्व क्षेत्र के ही हमीरगढ इको पार्क को पर्यटन स्थल बनाने के लिए कई प्रकार की सुविधाए जुटाई जा रही है।
डीपी जागावत, उपवन संरक्षक, भीलवाड़ा