बांध के पेटे में सौ से अधिक मोटर लगी है। सीधे पाइप पानी में डालकर बांध से जल चुराया जा रहा है। लाखों लीटर पानी से रोजाना अवैध रूप से सिंचाई करके खेती की जा रही है। दिलचस्प पहलु यह है कि यह काम चोरी-छिपे नहीं बल्कि बेधड़क हो रहा है। किसी अफसर ने पेटे में उतरकर इनके खिलाफ प्रभावी कार्रवाई नहीं की।
बांध पेटे से चार से पांच माह खेती की जाती है। पहले तरबूज, ककड़ी और खीरे की फसल उगाते हैं। फिर सब्जियों का नम्बर आता है। अभी पेटे में सौ से अधिक बीघा में सब्जियां उगाई जा रही है। रोजाना लाखों लीटर चोरी के पानी से सिंचाई हो रही है। पेटे में झोपडि़यां बना रखी है ताकि फसलों की सुरक्षा के लिए रुक सके।
अभी चम्बल परियोजना का पानी डेढ़ सौ किमी दूर से लाया जा रहा है। परियोजना में शटडाउन लेना पड़े या आपात स्थिति आ जाए तो मेजा बांध शहर की प्यास बुझाने में जिम्मेदारी निभा सकता है। इसके लिए जरूरी है कि इसमें पानी रिजर्व रखा जाए। सूखे कंठों को चम्बल परियोजना तर कर रही है। लेकिन मेजा बांध भी जलापूर्ति का बड़ा स्त्रोत है। हालांकि इस समय पचास से साठ लाख लीटर रोज जलदाय विभाग जलापूर्ति के लिए पानी ले रहा है।