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हास्यचूड़ामणी ने दर्शकों का खूब मनोरंज न किया

locationभीलवाड़ाPublished: Sep 20, 2018 08:51:24 pm

Submitted by:

Suresh Jain

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Humor did not entertain the audience in bhilwara

Humor did not entertain the audience in bhilwara

हास्यचूड़ामणी ने दर्शकों का खूब मनोरंज न किया
भीलवाड़ा ।


शहर के नगर परिषद टाउन हॉल में चल रहे नाट्य समारोह के दौरान गुरुवार को विहान ड्रामा वर्क्स, भोपाल की प्रस्तुति ‘हास्यचूड़ामणी’ नाटक ने दर्शकों का खूब मनोरंजन किया। प्रत्येक कलाकार ने अपनी अभिनय कला से दर्शकों पर गहरी छाप छोड़ी। अपनी तरहं के इस अनूठे एंव उत्कृष्ट नाटक ने नाट्य प्रेमी बन्धुओं को आरम्भ से अन्त तक बान्धे रखा। नाटक का रुपान्तरण, परिकल्पना एंव निर्देशन सौरभ अनन्त का था।
म्ल रुप से ग्यारहवीं शताब्दी में महामात्य वत्सराज के द्वारा लिखा गया यह नाटक ‘हास्यचूड़ामणी’ एक संस्कृत प्रहसन है। तत्कालीन समयानुरुप इस नाटक की कथावस्तु किसी नगर की गणिका कपटकेली के आभूषणों की गठड़ी के चोरी हो जाने से शुरु होती है। कपटकेली की पुत्री मदनसुन्दरी का प्रेमी कलाकरंडक अपनी चोरी पकड़े जानेे से बचने के लिए ज्ञानराशि नामक साधु के पास चुराइ गई गठरी छोड़ जाता है।
ज्ञानराशि एक पाखंडी है जिसके पुरखे भी जप तप से जादू टोने करना जानते थे जिसके कारण ज्ञानराशि कुछ छोटे मोटे टोटके जानता है लेकिन बहुत पहुंचा हुवा साधु नहीं है, जैसा कि वो ढोंग करता है। अतीत में किए गए अपने अपराध से बचने के लिए ज्ञानराशि गांव गांव घूम रहा है। और इस समय अपने शिष्य कौंडिन्य के साथ इस नगर आया हुआ है जहां कपटकेली मदनसुन्दरी और कलाकरंडक रहते है। इधर साधु की ख्याति से प्रसन्न होकर कपटकेली चोर का पता लगाने के लिए साधु ज्ञानराशि के पास जाती है और उसी के बाद मदनसुन्दरी अपने प्रेमी की चोरी पकड़ में न आने के लिए साधु के पास जाती है। साधू मदनसुन्दरी के सौन्दर्य पर मोहित हो जाता है और उसे अपने वश मे करने के लिए एक ताबीज का निर्माण करता है। कथा के चरम पर श्रानराशि का शिष्य काैंडिन्य उस ताबीज पर कपटकेली का नाम लिख देता है जिसके प्रभाव से कपटकेली ज्ञानराशि पर मोहित हो जाती है।
ज्ञानराशि उस समय विचित्र परिस्थिति में धिर जाता है जब एक साथ कपटकेली, मदनसुन्दरी और कलाकरंडक उसके आश्रम में उपस्थित हो जाते है। ज्ञानराशि का पाखंड हास्य के चरम पर पहुंचता हैं जब उपने आप को बचाने के लिए वह विभिन्न तरीके अपनाते हुए इस परिस्थिति से स्वयं को उबारने के प्रयत्न करता है।
क्लाकारों में सर्व श्री हेमंत देवलेकर, अंकित मिश्रा, अंकित पारोचे, श्वेता केलकर, निवेदिता सोनी रसिका कडू, शिवानी सिंह, ईशा गोस्वामी, नीलिमा झा, शुभम कटियार, कार्तिक नामदेव, कृष्णा पटेल, आकाश तथा राहुल विश्वकर्मा ने शानदार अभिनय किया। गीत संगीत हेमंत देवलेकर का था। हारमोनियम पर सृष्टि भागवत, तालवाध्य तेजस्विता अनंत तथा गायन सृष्टि भागवत, हीरा धुर्वे, नवीन शर्मा, कृष्णा पटेल, राहुल विश्वकर्मा, स्नेह विश्वकर्मा व अंश जोशी का था।
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