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आईएमए ने राष्ट्रीय अवार्ड के लिए राजस्थान के भीलवाड़ा प्रभारी डॉ. रोमिलसिंह को चुना

locationभीलवाड़ाPublished: Jul 10, 2020 09:48:24 pm

Submitted by:

Suresh Jain

कोरोना काल में दिन रात एक करके लोगों को संक्रमण से बचाने का किया काम

IMA selected Bhilwara in-charge Dr. Romilsingh for National Award in bhilwara

IMA selected Bhilwara in-charge Dr. Romilsingh for National Award in bhilwara

भीलवाड़ा .

इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. राजन शर्मा ने देश भर के 87 डॉक्टरों का कोरोना विवयर्स के रूप में चयन कर राष्ट्रीय स्तर पर सम्मानित किया जाएगा। आईएमए की ओर से जारी सूची नें राजस्थान से एक मात्र जयपुर के वरिष्ठ चिकित्सा अधिकारी एवं कोरोना सर्विलेंस के भीलवाड़ा प्रभारी डॉ. रोमिलसिंह को चुना गया है। वह भी भीलवाड़ा में कोरोना काल के दौरान किए गए उल्लेखनीय कार्यो के कारण। इसकी सूचना राजस्थान के डाक्टरों को मिलते ही उनके समर्थकों में खुशी की लहर छा गई है। डॉ. रोमिलसिंह रायपुर नगर के वरिष्ठ चिकित्सक है। एवं पूर्व नगर पालिका चेयरमैन व पूर्व प्रधान डॉ. गुरमीतसिंह के पुत्र है।
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने २० मार्च को भीलवाड़ा में कफ्र्यू लगाने की सूचना मिलने के साथ ही जयपुर से तीन दर्जन से अधिक डाक्टरों की टीम को भीलवाड़ा भेजा था। इसमें से डॉ. रोमिल सिंह को भीलवाड़ा, जयपुर तथा उदयपुर से आने वाले सभी डॉक्टरों की टीम का तथा कोरोना सर्विलेंस का प्रभारी लगाया था।
भीलवाड़़ा लगतार कोरोना संक्रमण के मामले सामने आने लगे तो एक बार तो पूरे विश्व यह हल्ला मच गया था कि भीलवाड़ा दूसरा वुहान होगा। लेकिन डॉ. रोमिलसिंह व उनकी टीम ने इस सौच को गलत साबित करते हुए 38 दिन तक मेहनत करने के बाद पुन: जयपुर भेज दिया था। उस समय तक यह आकंड़ा मात्र 28 थे। लेकिन सिंह के जाने के बाद बाहर से प्रवासी लोगों के भीलवाड़ा आने तथा उनकी जांच में कोरोना संक्रमित निकलने का सिलसिला शुरू हुआ जो आज भी जारी है। अब भीलवाड़ा में 287 मामले हो गए है। हालांकि महात्मा गांधी असस्पताल के डाक्टरों के अथक प्रयासों से 254 जनों को कोरोना वायरस से फ्री करके घर भी भेज दिया है। यह आंकड़ा लगभग 88 प्रतिशत है।
सिंह ने पत्रिका को बताया कि उस दौरान सर्किट हाउस को ही वॉर रूम बना दिया था। यहीं से प्रतिदिन मुख्यमंत्री व चिकित्सा मंत्री को हर पल की रिपोर्ट भेजी जा रही थी। सॢकट हाउस में 50 से अधिक डॉक्टरों की टीम ने डेरा डाला था। सर्किट हाउस को कंट्रोल रूम बनाया था। वरिष्ठ चिकित्सा अधिकारी 15 से 18 घंटे काम कर रहे थे। सचिवालय की तर्ज पर सर्किट हाउस को स्टेट कार्यालय का दर्जा दे रखा था। हालांकि सिंह के साथ स्थानीय टीम ने काफी मदद की थी। आरआरटी प्रभारी डॉ. घनश्याम चावला, उनकी टीम, डॉ. सुरेश चौधरी, सीएमएचओ डॉ. मुस्ताक खान, एमजीएच अधीक्षक डॉ. अरूण गौड़ सहित उनकी टीम ने भी अच्छा काम किया। इसके कारण ही आज भीलवाड़ा मॉडल के रूप में उभर कर सामने आया है।
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