जिले मेंं कोरोना संकट काल के साथ ही तीखी गर्मी से ग्रामीण अंचल में जन जीवन प्रभावित होने लगा है। खेतों व घरों में सन्नाटा पसरने से वन्य क्षेत्र से वन्य जीव अब आबादी की तरफ बढऩे लगे है। वीरान पड़े खदान क्षेत्र में ठौर बनाने लगे है। यही कारण है कि पैंथर, जरख, सियार, भालू, जंगली सुअर, हिरण, सेही, लोमडी, खरगोश, तीतर, चिंकारा, नीलगाय, मोर समेत विभिन्न प्रजाति के वन्य पक्षी व पशु अब वन क्षेत्र के साथ ही गांव के बाहर खुले में स्वंच्छ विचरण करने लगे है।
हमीरगढ़ व मेनाल पार्क बंद कोरोना संकट काल को देखते हुए जिला प्रशासन ने हमीरगढ़ स्थित इको पार्क थानीय लोगों के लिए बंद कर दिया है। प्रभारी देवकृष्ण दरोगा ने बताया कि आमजन की आवाजाही नहीं होने से यहां परम्मवेशी स्वच्छंद हो गए। यहां स्थित म्परम्परागत जल स्रोतों पर दिन भर वन्य जीवों की आवाजाही रहती है। यही हाल मेनाल स्थित इको पार्क का है। जिले में मांडलगढ़, बिजौलियां, करेड़ा, बदनोर व रायपुर क्षेत्र स्थित वन क्षेत्रों में भी तीखी गर्मी से परम्परम्परागतजल स्रोत सूख चुके है या सूखने की स्थिति में है। ऐसे में वन्य जीव पानी व भोजन की तलाश में आबादी क्षेत्र में घुसने लगे है।
२५ नए टांके बनाए वन क्षेत्र में वन्य जीव की प्यास बुझाने के लिए वन विभाग ने २५ नए टांके बनाए है। यह टांके पानी के टैंकरों या आसपास के नलकूपों की मदद से भरे जा रहे है। इसी प्रकार वन क्षेत्र की पचास से अधिक प्रजातियों के हजारों की संख्या में मौजूद पौधे व पेड़ों को भी बचाने का प्रयास किया जा रहा है।
वन्य जीव सुरक्षित, टैंकरों का सहारा जिले में कोरोना संकट के कारण दोनों ईको पार्क आम जनता के लिए बंद कर दिए गए। भीषण गर्मी के कारण परम्परागत जलस्रोतों में भी जल स्तर घटता जा रहा है। ऐसे में छह रेंज में स्थित वन्य जीव संरक्षण क्षेत्र में २५ से अधिक टांके विकसित किए गए है। यहां टैंकर व अन्य साधनों से पानी लाया जा रहा है। शिकार को रोकने के लिए वन गार्ड टीमें गठित की गई है।
डीपी जागावत, उपवन संरक्षक, वन विभाग, भीलवाड़ा