श्रमिकों के पलायन से चिंतित उद्योगपति, खेतीबाड़ी पर ध्यान की जरूरत
भीलवाड़ाPublished: May 26, 2020 09:10:22 pm
नया भारत अभियान : लॉकडाउन से उपजे हालात पर विभिन्न वर्गों का मंथन
Industrialists worried about labor migration,need attention on farming in bhilwara
भीलवाड़ा।
राजस्थान पत्रिका के नया भारत अभियान में सोमवार को वेबीनार से जिला प्रशासनप्रतिनिधि, कृषि, उद्योग, खेती से जुड़े १३ लोगों ने हिस्सा लिया। औद्योगिक संगठनों ने पीड़ा जताई कि भीलवाड़ा से हजारों कुशल श्रमिक अपने घर लौट चुके हैं। उन्हें रोकने के लिए जल्द सभी उद्योग चलाने होंगे। इसमें विभिन्न सुझाव मिले। इनमें प्रवासियों को रोजगार के लिए शार्ट टर्म पाठ्यक्रम शुरू करने व ई-रोजगार मेले लगाने आदि शामिल है। जैविक खेती को बढ़ावा देना हो या किसानों को उपज के सही दाम, चर्चा हुई। औद्योगिक संगठनों ने सरकार से राहत पैकेज की बात कही।
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अब रोजगार मेले की जगह ई-मेले लगाएंगे। उदयपुर की कंपनी से चर्चा कर ऑनलाइन आवेदन भराए जा रहे हैं। प्रयास है कि युवाओं से वीडिया कॉल से इंटरव्यू लिए जाएं। बाहर से आने वाले लोग कुशल श्रमिक की श्रेणी में आते हैं। इन्हें ं कुछ न कुछ काम मिल सकता है।
-मुकेश गुर्जर, जिला रोजगार अधिकारी
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प्रवासियों के लिए कौशल विकास योजना में टेक्सटाइल आधारित पाठ्यक्रम शुरू करने होंगे ताकि वे जल्द प्रशिक्षण लेकर काम कर सके। अन्य प्रदेशों के स्थान पर स्थानीय लोगों को रोजगार मिलेगा तो उद्योगों को फायदा होगा। अब तक चार हजार से अधिक युवाओं को प्रशिक्षण देकर नौकरी लगाया है।
-अभिषेक लोहिया, विशेषज्ञ, स्किल डेवलपमेंट
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अब सबसे बड़ी चुनौती लोगों को रोजगार देने की है। भीलवाड़ा से श्रमिक जिस प्रदेश में गए, वहां की सरकार व प्रशासन की जिम्मेदारी है कि उसे वहां रोजगार दे। इसके लिए सरकार को स्किल्ड लेबर के लिए तुरन्त योजना चलानी चाहिए।
– प्रदीप लाठी, काउंसलर, स्किल डेवलपमेंट
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आर्गेनिक फसलों को बाजार नहीं मिल रहा। किसानों को उत्पाद का सर्टिफिकेट दिलाएं ताकि मेहनत का पैसा मिल सके। खेती के लिए श्रमिक नहीं मिलते। लोगों को जागरूक करना होगा। डेयरी के क्षेत्र में नाबार्ड की योजना है, लेकिन फंड इतना कम होता है कि दस व्यक्ति भी लाभान्वित नहीं हो पाते हैं।
– अशोक शर्मा, पूर्व सयुक्त निदेशक कृषि विभाग
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परंपरागत खेती में रसायनों का इस्तेताल अधिक होने लगा है। इससे कैंसर रोगी बढ़ रहे हैं। जल व जमीन बचानी है तो जैविक खेती व केचुआ खाद व गाय के गोबर की खाद काम में लेनी होगी। देसी गाय अब समाप्त होती जा रही है। दुध अधिक लेने के कारण अन्य नस्ल के मवेशी रखने लगे है।
-बद्रीलाल तेली, जिलाध्यक्ष भारतीय किसान संघ
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श्रमिकों का पलायन रोकने पर ध्यान देना होगा। उद्योगों के सामने आर्थिक संकट है। सरकार से मदद नहीं मिल रही। दो माह के बाद कुछ उत्पादन शुरू हुआ। बिजली के फिक्स चार्ज वापस लिए जाएं। एमएसएमई योजना में ५० करोड़ तक के निवेश के पैकेज तक को राहत देनी चाहिए। सौ करोड़ के टर्नओवर को भी बढ़ाना चाहिए।
-अतुल शर्मा, वरिष्ठ उपाध्यक्ष भीलवाड़ा टेक्सटाइल ट्रेड फेडरेशन
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राज्य व केन्द्र सरकार उद्योगों को राहत देने के मूड में नहीं है। बिजली बिल में फिक्स जार्च हटाएं। तीन माह बाद बिल जमा नहीं हुआ तो ३६ प्रतिशत ब्याज लगेगा। श्रमिकों के वेतन को लेकर स्पष्ट आदेश नहीं है। बैंक के ब्याज को डेफर किया है।
-जेके बागडोदिया, अध्यक्ष मेवाड़ चेम्बर ऑफ कॉमर्स
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श्रमिकों को ईएसआइ व पीएफ फंड से भुगतान करना चाहिए ताकि उद्योग निर्बाध चल सके। कपड़ा उद्योग पटरी पर आएगा तो शहर की अर्थव्यवस्था सुधरेगी। उद्योग चले ताकि श्रमिकों को रोजगार मिल सके। पलायन को रोका जा सके।
-दामोदर अग्रवाल, अध्यक्ष भीलवाड़ा टेक्सटाइल ट्रेड फेडरेशन
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केंद्र ने एमएसएमई को राहत के वास्ते कार्यशील पूंजी के लिए ऋण का एेलान किया। यह ऋण सरकारी गारंटी पर मिलेगा। सरकार राहत के बजाय राशि उधार दे रही है। यह राशि कैसे चुकानी है, पुराने ऋण का क्या होगा? इसकी योजना नहीं है। राहत पैकेज के टर्नओवर को भी बढ़ाना होगा।
-आरके जैन, महासचिव, मेवाड़ चेम्बर ऑफ कॉमर्स
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कोरोना लॉकडाउन से व्यापार व उद्योग जगत पर काफी असर पड़ा। अर्थव्यवस्था चरमरा गई है। इससे निपटने के लिए हमें काफी समझदारी से काम करना होगा। बिजली के बिलों से फिक्स चार्ज को कम करना होगा।
चंदा मून्दड़ा, उद्यमी
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श्रमिक जिस तरह घर भेजे जा रहे हैं, वैसे ही उनको वापस लाने की व्यवस्था की जाए। किसी भी तरह उद्योग चले ताकि लोगों को रोजगार मिल सके। बैंकों ने ब्याज तीन माह स्थगित किया है। यह ब्याज आगे मांगा जाएगा।
विमला मूणोत, उद्यमी
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श्रमिकों को रोकने के लिए उद्योग चलाने होंगे लेकिन श्रमिक ठेकेदार अन्य श्रमिकों को काम नहीं करने दे रहे हैं। इससे उद्यमियों के सामने दिक्कत आ रही है। इसके लिए सरकार व जिला प्रशासन को सख्त कदम उठाने चाहिए।
-संजय पेडि़वाल, अध्यक्ष सिन्थेटिक्स विविंग मिल्स एसोसिएशन
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कपड़ा उद्योगों में हर समय भर्ती चालू है के बोर्ड लगे रहते हैं, लेकिन श्रमिक काम नहीं करना चाहते। लॉकडाउन में उद्योगों को चलाने की अनुमति मिली लेकिन कोई काम पर नहीं आना चाहता है। जिला कलक्टर ने जो शर्ते रखी, उसे कोई मानने को तैयार नहीं है।
-रमेश अग्रवाल, सचिव, सिन्थेटिक्स विविंग मिल्स एसोसिएशन