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उद्योगों को सस्ती बिजली मिले, सिंगल विंडो लागू हो

locationभीलवाड़ाPublished: Jan 24, 2020 09:46:41 pm

Submitted by:

Suresh Jain

राजस्थान बजट पर टीपीएफ से जुड़े लोगों से चर्चा

Industries should get cheaper electricity, single window is applicable in bhilwara

Industries should get cheaper electricity, single window is applicable in bhilwara

भीलवाड़ा।
Rajasthan budget 2020 राजस्थान बजट को लेकर शुक्रवार को तेरापंथ प्रोफेशनल फोरम (टीपीएफ) से जुड़े सीए, एवडवोकेट, उद्योगपतियो, महिला उद्यमियों, डॉक्टरों ने तेरापंथ भवन में बजट चर्चा में विचार रखे। उनका मानना है कि सरकार उद्योगों के लिए सस्ती बिजली, सिंगल विण्डो की घोषणा करने के साथ आम लोगों को अपने बजट में साथ रखेगी।
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आईना
Rajasthan budget 2020 सरकार हर बार सिंगल विण्डो योजना लेकर आती है, लेकिन लागू तक नहीं कर पाती है। इससे भ्रष्टाचार बढ़ रहा है। इसे रोकने के लिए योजना को सख्ती के साथ लागू करना होगा।
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अपेक्षा
बजट में शिक्षा, चिकित्सा एवं उद्योगों के लिए बजट में कुछ प्रावधान की अपेक्षा है। राज्य कर्मचारियों का डीए बढ़ाने की अपेक्षा इस बजट से है।
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मंदी की बात
टेक्सटाइल उद्योगों को अन्य प्रान्तों के मुकाबले दुगुनी कीमत पर बिजली मिल रही है। इसके कारण टेक्सटाइल उद्योग मंदी के दौर से गुजर रहे हैं। उन पर कई तरह के सेस लगने से आर्थिक संकट का सामना करना पड़ रहा है।
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संभावना
पर्यावरण सुधार व सिंगल यूज प्लास्टिक को लेकर प्रावधान किए जाने की संभावना है। ग्राम पंचायतों को और अधिक मजबूत बनाने के लिए कई कदम उठाए जा सकते हैं।
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मेरी बात
तेरापंथ समाज युवाओं को अपने पैरो पर खड़ा करने का अभियान चला रहा है। सरकार इस बजट में प्रदेश के हर जिले व तहसील स्तर पर रोजगार प्रशिक्षण केन्द्र खोले, ताकि युवाओं को रोजगार के लिए प्रशिक्षण मिले। सभी को रोटी, कपड़ा व मकान की सुविधा मिले। युवाओं को नशे से दूर करने के लिए कड़े कदम उठाने के साथ इन पर टैक्स २०० गुना बढ़ा देना चाहिए।
अंकुर बोरदिया, राष्ट्रीय सहमंत्री, टीफीएफ
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उद्योगों के लिए लैंड बैंक बने। वन नेशन वन टेक्स की बात करते हैं, लेकिन कई तरह के टैक्स हैं। ऑर्गेनिक खेती को बढ़ावा देने के लिए तहसीलों को ऑर्गेनिक डेडिकेडेट घोषित करें। वेयरहाउस नहीं होने के कारण प्याज के दाम तक बढ़ रहे है।
पंकज ओस्तवाल, फंडरेजिंग कमेटी चेयरमैन, टीपीएफ
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ऋणी माफी की राशि बैंकों को नहीं मिली है। सहकारी क्षेत्र के बैंकों में अल्पकालीन ऋण के लिए साख सीमा तीन लाख होनी चाहिए। अल्पकालीन के साथ दीर्घकालीन ऋण एक ही संस्था से मिले। सहकारी सस्थाओं के चुनाव २००९ के बाद नहीं हुए हैं।
एलएल गांधी, राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य
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टेक्सटाल उद्यमियों को महंगी बिजली मिल रही है। उद्योग पलायन कर रहे है। प्रदूषण की समस्या के कारण उद्योगों पर तलवार लटकी है। कॉमन सीईपीटी लगे। लैंड बैंक की समस्या है। टेक्सटाइल सेक्टर होने के बाद भी कनेक्टिविटी नहीं है। टफ अनुदान नहीं मिल रहा है।
विनोद पीतलिया, सेन्ट्रल जोन उपाध्यक्ष टीफीएफ
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जीएसटी से पहले वैट था। आज भी कागजों में करोड़ों रुपए की डिमांड बकाया है। इसके समाधान की घोषणा की जाती है, लेकिन अमल नहीं हो रहा। भाजपा सरकार ने सिरेमिक जोन की घोषणा की थी। उसकी पालना तक नहीं हो पाई है।
नवीन वागरेचा, सीए एवं जोनल सेकेट्री, टीफीएफ
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एडवोकेट वेलफेयर फंड बनाया जाए। न्यायाधीश के पद भरे जाने चाहिए। जूनियर एडवोकेट को स्टाइफंड मिले, पेंशन स्किम बने इसके प्रस्ताव सरकार को भेजे हैं।
भैरूलाल बापना, एडवोकेट एवं ब्रांच अध्यक्ष टीफीएफ
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प्रदेश में सबसे अधिक महाविद्यालय है, लेकिन उन पर लगाम नहीं है। डमी प्रवेश के साथ फर्जी डिग्री दी जा रही है, जिनकी जांच होनी चाहिए। जॉब से जुड़े हुए पाठ्यक्रम चलने चाहिए, ताकि बच्चों को रोजगार मिले। स्किल्ड डवलपमेन्ट पर ध्यान दिया जाए।
डॉ. धीरज सूर्या, ब्रांच सचिव, टीफीएफ
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उद्योगों के लिए सरकार हर बार सिंगल विंडो स्कीम लेकर आती है, लेकिन प्रभावी तरीके से लागू नहीं कर पाती है। बजट में इसे सख्ती के साथ लागू करे, ताकि उद्यमियों के एक ही स्थान पर काम हो सके। इन्फ्रास्ट्रक्चर के लिए बजट के साथ उच्च शिक्षा में छात्राओं के लिए स्कोलरशिप का प्रावधान हो।
अलिंद नैनावटी, एडवोकेट एवं ब्रांच कोषाध्यक्ष टीपीएफ
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महिलाओं को उद्योग लगाने की योजना नहीं है। शिक्षा व महिला सुरक्षा के लिए अधिक बजट बढ़ाना चाहिए। छात्राओं को इसके लिए सरकार से मदद मिलनी चाहिए।
अपर्णा श्यमासुखा, सदस्य, टीफीएफ
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सरकारी विद्यालयों में हिन्दी के साथ अंग्रेजी पाठ्यक्रम शुरू करना चाहिए। निजी शिक्षण संस्थानों में मनमानी फीस पर रोक लगाने के लिए कमेटी बने। भीलवाड़ा में विधि कॉलेज की मान्यता पर ध्यान देना चाहिए।
सपना कोठारी, एडवोकेट व सदस्य टीफीएफ
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महंगी बिजली से वस्त्र उद्योग को बड़ा झटका लग रहा है। सोलर योजना और मजबूत की जाए। भीलवाड़ा मंदी की मार से जूझ रहा है। मजदूर पलायन कर रहे हैं। इन्फ्रास्ट्रेक्चर व जमीन की सुविधा नहीं है।
संदीप चौरडिय़ा, सदस्य टीपीएफ
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सरकार चिकित्सा व शिक्षा को पीपीमोड पर देने जा रही है। शिक्षा व स्वास्थ्य पर अधिक बजट देना चाहिए। रिक्त पदों को जल्द भरे। पूर्व चिकित्सा मंत्री राजेन्द्र राठौड़ ने आरएमएस और आइएमएस का कैडर बनाने की बात कही थी, वह अब तक लागू नहीं हुआ।
डॉ. एलएल सिंघवी, सरंक्षक टीपीएफ
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सरकार महंगाई भत्ते नहीं बढ़ा रही है। केन्द्र सरकार फिर डीए बढ़ाने जा रही है। पेंशनर्स के ३० हजार तक के बिलों का अधिकार टीओ के पास है। इसकी राशि ५० हजार तक करनी चाहिए। एक लाख तक का अधिकार कलक्टर के पास हो। पेंशनर्स भवन बने। बस में कार्ड की जरूरत होती है, जबकि रेलवे में आधार कार्ड को माना जाता है।
रोशनलाल पीतलिया, संरक्षक टीपीएफ
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