अपात्र अधिकारी नहीं लग सकेंगे नगरीय निकाय में आयुक्त
विशेष परिस्थिति में भी 15 दिन से अधिक कार्यभार नहीं
हाईकोर्ट का महत्वपूर्ण निर्देश

भीलवाड़ा।
राजस्थान उच्च न्यायालय ने एक महत्वपूर्ण व्यवस्था दी है कि अपात्र अधिकारी नगरीय निकायों में आयुक्त नहीं बन सकेंगे। केवल राजस्थान नगर पालिका सेवा (प्रशासनिक एवं तकनीकी) नियम-1963 के अनुसार आयुक्त के रूप में परिभाषित योग्यताधारी को ही नियुक्त किया जा सकेगा। न्यायाधीश दिनेश मेहता ने याचिकाकर्ता राश्रवणराम व तीन अन्य की ओर से दायर याचिका की सुनवाई के बाद कहा कि किसी विशेष परिस्थिति में आयुक्त की योग्यता से इतर किसी व्यक्ति को कार्यभार देने की जरूरत हों, तो यह अवधि १५ दिन से ज्यादा की नहीं होगी।
याचिकाकर्ताओं की ओर से अधिवक्ता कुलदीप माथुर ने कहा कि याची राजस्थान नगर पालिका सेवा (प्रशासनिक एवं तकनीकी) नियम.1963 के तहत अपेक्षित सेवा व पात्रता के बाद १५ अक्टूबर २०१९ को आयुक्त पद पर पदोन्नत हुए थे, लेकिन उन्हें आयुक्त पद पर पदस्थापित नहीं किया गया। जबकि अन्य पदों पर कार्यरत १५ अक्टूबर २०१९ को कई अधिकारियों को सरकार ने पदोन्नत करते हुए आयुक्त बनाया था। लेकिन अब तक सरकार ने आयुक्त का पद नहीं दिया है। जबकि प्रदेश में २६ ऐसे अधिकारी है जो आयुक्त के पद के काबिल न होते हुए इस पद पर लगे हुए है।
यहां लगे है अपात्र आयुक्त
माथुर ने कहा कि भिवाड़ी, भीलवाड़ा, नागौर, बांसवाड़ा, प्रतापगढ़, सिरोही, रानी, जालोर, सांचौर और बाड़मेर के नगरीय निकायों मे ऐसे ही व्यक्ति आयुक्त के पद पर काबिज हैं। भीलवाड़ा में ईओ तृतीय दुर्गाकुमारी को आयुक्त लगा रखा है।
एकलपीठ ने अपना मत प्रकट करते हुए कहा कि अपेक्षित पात्रता विहीन लोगों को आयुक्त पद का कार्यभार देने से न केवल याचिकाकर्ताओं के हित प्रभावित होते हैं, बल्कि यह बेहतर नगर पालिका प्रशासन के विपरीत है। हाइकोर्ट ने राज्य सरकार को याचिकाकर्ताओं को अगली सुनवाई ५ अप्रेल से पहले शहरी निकायों में आयुक्त के पद पर पदस्थापित करने के निर्देश दिए हैं।
सरकार को तय करना है
किसी अधिकारी को किस पद पर लगाना है यह सरकार तय करती है। श्रवणराम की याचिका पर उसे आयुक्त पद पर लगाने के आदेश दिए है। अब यह सरकार को तय करना है। मैं इस मामले में ज्यादा कुछ नहीं कह सकती हूं।
दुर्गाकुमारी, आयुक्त नगर परिषद भीलवाड़ा
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