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inside story of Bhilwara…जानिए भीलवाड़ा की अंदर की बात…

locationभीलवाड़ाPublished: Jan 10, 2022 10:04:41 pm

inside story of Bhilwara… कहते हैं कि जिनके घर शीशे के होते हैं वह दूसरों पर पत्थर नहीं फेंकते हैं लेकिन जिले की राजनीति में सब कुछ जायज है। हाल ही प्रमुख शासन सचिव भीलवाड़ा आए और प्रशासन शहरों के संग अभियान में नगर परिषद के बिगड़े हालातों को लेकर जमकर खिंचाई की, खिंचाई का असर संबंधित अधिकारियों पर तो नजर नहीं आया लेकिन कई नेताजी जरूर खीज उठे

Know the inside story of Bhilwara...

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नरेन्द्र वर्मा
भीलवाड़ा। कहते हैं कि जिनके घर शीशे के होते हैं वह दूसरों पर पत्थर नहीं फेंकते हैं लेकिन जिले की राजनीति में सब कुछ जायज है। हाल ही प्रमुख शासन सचिव भीलवाड़ा आए और प्रशासन शहरों के संग अभियान में नगर परिषद के बिगड़े हालातों को लेकर जमकर खिंचाई की, खिंचाई का असर संबंधित अधिकारियों पर तो संभवत नजर नहीं आया लेकिन कई नेताजी जरूर खीज उठे, इनमें एक ने तो नगर विकास न्यास को आड़े हाथ लेने में कोई कसर नहीं छोड़ी। चर्चा है कि न्यास को निशाना बनाने वाले यह नेताजी खुद ही न्यास के कठघरे में है। आरोप है कि उनकी सहभागिता वाली एक कंपनी सीएम जन आवास योजना में लोगों व न्यास की की उम्मीदों पर खरा नहीं उतर रही है, नेताजी की इस एजेंसी को निर्माण कार्यों की गुणवत्ता सुधारने व जल्द काम पूरा करने के कई नोटिस भी मिल चुके है, लेकिन नतीजा ढाक के तीन पात ही है। Know the inside story of Bhilwara…
उछाल रहे सोशल मीडिया पर नाम

मलमास समाप्त होने का इंतजार कर रहे जिले के कई नेताजी की उम्मीदों पर अब कोरोना पानी फेरने पर तुला है। ऐसे में राजनीतिक नियुक्तियों में अपनी कुर्सी को मजबूत करने के लिए जी जान लगा रहे कुछेक नेताजी का मन भी उखड़ ने लगा है, उनकी पीड़ा है कि तीन साल बेमिसाल बीत गए, लेकिन सेवा का फल अभी तक मीठा नहीं हुआ है। कोरोना के बाद कही राज्य सभा चुनाव उनकी उम्मीदों का ना धो दें। ऐसे में उनके समर्थक मन बहलाने के लिए उनके नाम सोशल मीडिया पर उछालने लगे है। रिश्तेदार भी पीछे नहीं है। गांवों से लेकर सर्किट हाउस में उनके दरबार लगने लगे है। चर्चा है कि जिले में एक अनार व सौ बीमार की स्थिति बनी हुई है।
बहती गंगा में धो लिए हाथ

कोरोना संकट काल में पीडि़त मानव सेवा के प्रति संगठनों से लेकर प्रबृद्धजनों ने सेवा के भाव की जो अलख जगाई है वह अनुकरणीय उदाहरण है। जिला प्रशासन ने भी जन सेवा के जज्बे को सलाम करने के लिए गत दिनों शहर की कई संस्थाओं व संगठनों का सम्मान किया। यह सम्मानित सूची इतनी लंबी हुई कि सम्मान होने तक नाम जुड़ते रहे। चर्चा है कि कुछ संस्थाओं ने इस बहती गंगा में खूब हाथ धोए है। इनके कर्ताधर्ता जुबान खर्ची सेवा एवं खबरों की सुर्खियों में खुद को उछालने के बाद अब इनाम के साथ सोशल मीडिया पर सुर्खियां बटोर रहे हैं। इन्हीं के खासों को इस बात का मलाल है कि मेहनत तो उन्होंने की लेकिन सम्मान वह बटोर ले गए।
नहीं छूट रहा साइकिल का साथ

तीन साल बेमिसाल एवं जनप्रतिनिधियों का करो सम्मान, यह नारा कांग्रेस खेमे में बुलंद है। ऐसे में सम्मान की होड भी लाजमी है, निशुल्क साइकिल वितरण कार्यक्रमों के बहाने कई नेता शहर से लेकर गांवों में अपना सम्मान भी कराने लगे है। काम से अधिक उनके नाम सोशल मीडिया पर छाने लगे है। लेकिन उनका यह सम्मान कईयों को रास नहीं आ रहा है, चर्चा यह होने लगे है कि कई सम्मान के खातिर संगठन में अपनों के दुख दर्द को भी भूलने लगे है। इन दिनों खार्स चर्चा यह है कि कांग्रेस की पार्षद के असामयिक निधन के बावजूद शहर में कई नेता तीन दिन का शोक रखना ही भूल गए। उनके हाथ परिजनों के को ढांढस बंधाने के लिए उठने के बजाए सरकार की तरफ से आई निशुल्क साइकिलों के हैंडल व सम्मान की माला थामने में ही लगे रहे।
बड़े बाबू जी रूठे
कलक्ट्रेट में एक बड़े बाबू खासा छाए हुए है, निर्वाचन कार्य में मन से काम नहीं किया तो जिला हाकम ने उन्हें जिला मुख्यालय से बाहर का रास्ता दिखा दिया, तबादला होने से अब वह खफा है, एक माह बीत गया, लेकिन नया ठौर अभी तक नहीं संभाला है। आला अधिकारियों ने भी समझाइश की, वरिष्ठ साथियों ने भी सलाह दी, लेकिन उनका पारा सर्दी में भी नीचे नहीं लुढ़का है। चर्चा है कि उनका रूठना कही उन्हें ही भारी नहीं पड़ जाए।

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