पलायन से अटका श्रम का पहिया
भीलवाड़ाPublished: Jul 09, 2020 09:48:18 am
उद्योगों में आधे श्रमिकों से चलाया जा रहा है कामबाहर से 25 प्रतिशत कामगार ही लौटेआने वाले 14 दिन के लिए हो रहे क्वारंटीन
Labor wheel stuck due to migration in bhilwara
भीलवाड़ा।
दो माह का लॉकडाउन, फि र अनलॉक यानि कुल मिलाकर चार माह होने आए हैं। वस्त्रनगरी में औद्योगिक इकाइयों में कुशल श्रमिकों के अभाव में उत्पादन को गति नहीं मिली है। अन्य राज्यों के कामगार नहीं लौटे हैं। टेक्सटाइल उद्योग को 50 प्रतिशत स्टाफ से ही काम चलाना पड़ रहा है। अन्य राज्यों से से 25 प्रतिशत कामगार ही वापस आए। इसमें न तो प्रशासन व न दूसरी एजेंसी मदद कर रही है।
14 दिन का होम क्वारंटीन
सिन्थेटिक्स विविंग मिल्स एसोसिएशन सचिव रमेश अग्रवाल बताते हैं कि जो कामगार लौट रहे हैं। उनकी जांच कराए बिना कंपनी में काम पर नहीं रखा जा सकता। जांच कराने के लिए जाने पर उन्हें 14 दिन के लिए क्वारंटीन कर दिया जाता है। इतने दिनों तक कौन उसके रहने का भार उठाएगा।
एक संक्रमित की वजह से पूरी इकाई बंद होने का डर
नवीन कुमार बताते हैं कि उद्यमियों को चिंता है कि उनके एक भी संक्रमित मिला तो पूरी इकाई व व आसपास के प्रतिष्ठान बंद हो सकते हैं। ऐसे में कड़ी जांच के बाद ही फैक्ट्री में प्रवेश दिया जा रहा है। दिन में दो बार शरीर का तापमान व सेनेटाइजर का प्रयोग करा रहे हैं।
बिजली की समस्या
अनिल चौपड़ा ने बताया कि बिजली के लंबे कट से उद्योग ठीक से संचालित नहीं हो पा रहे हैं। उद्योगों को जेनरेटर से चलाना पड़ रहा है। इससे डीजल की खपत अधिक हो रही है। डीजल भी महंगा होने से खर्च बढ़ गया है।
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उद्योग पटरी पर लौट रहा है। शिकायत आने पर जल्द समाधान की कोशिश करते हैं। उत्पादन शुरू हो गया है। कोरोना के साथ जीने में कुछ नियमों को पालन सभी को करना है। अभी उत्पादन में तेजी नहीं आई है। हालात सामान्य होने में कम से कम तीन-चार माह लग जाएंगे।
आरके जैन, महासचिव, मेवाड़ चैम्बर ऑफ कॉमर्स