scriptप्राण वायु बनें ऑक्सीजन सिलेंडर, रोज बच रही जिन्दगियां | Life becomes oxygen cylinder, everyday life is saved | Patrika News

प्राण वायु बनें ऑक्सीजन सिलेंडर, रोज बच रही जिन्दगियां

locationभीलवाड़ाPublished: May 12, 2021 01:20:24 pm

कोरोना संक्रमितों के लिए प्राण वायु बन चुके ऑक्सीजन सिलेंडर का संकट जिले में आंशिक रूप से कम हुआ है, लेकिन जरुरत अभी भी बरकरार है। शहर एवं जिले में अभी रोजाना सवा करोड़ लीटर ऑक्सीजन एक हजार लोगों की सांसे दौड़ा रही है।

Life becomes oxygen cylinder, everyday life is saved

Life becomes oxygen cylinder, everyday life is saved

भीलवाड़ा। कोरोना संक्रमितों के लिए प्राण वायु बन चुके ऑक्सीजन सिलेंडर का संकट जिले में आंशिक रूप से कम हुआ है, लेकिन जरुरत अभी भी बरकरार है। शहर एवं जिले में अभी रोजाना सवा करोड़ लीटर ऑक्सीजन एक हजार लोगों की सांसे दौड़ा रही है।
आपूर्ति में एक मिनट की लापरवाही भी बड़े हादसे को न्योता दे सकती है। लेकिन शहर एवं जिले में आपूर्ति एक सैंकड भी प्रभावित नहीं हो, इसके लिए जिला कलक्टर शिव प्रसाद नकाते द्वारा गठित ऑक्सीजन प्रबधन कमेटी चौबीस घंटे लगी हुई है। कई बार तो कमेटी के सदस्य रात को सोने का समय भी नहीं निकाल पाते है। जिला कलक्टर नकाते की अगुवाई में अतिरिक्त जिला शिक्षा अधिकारी नारायण जागेटिया टीम के साथ समूची व्यवस्था संभाले हुए है।

10 अप्रेल से तेजी से बढ़ी ऑक्सीजन की मांग

कोरोना संकट काल में दूसरी लहर के घातक होने एवं १० अप्रेल से ऑक्सीजन युक्त बेड की मांग अचानक शहर एवं जिले में तेजी से बढऩे से जिला प्रशासन की परेशानी बढ़ गई। हालात अभी थोड़े सुधरे है, लेकिन ऑक्सीजन युक्त बेड की जरुरत अभी भी कोरोना संक्रमितों के अलावा गंभीर बीमार लोगों को अभी भी है। शहर एवं जिले में सरकारी एवं निजी चिकित्सालयों में ऑक्सीजन की कमी ना हो और चिकित्सालयों को मांग के अनुसार सिलेंडर मिलें, इसके लिए ऑक्सीजन प्रबंधन समिति २४ घंटे काम कर रही है।
किशनगढ़ व चित्तौड़ से आ रहे सिलेंडर

समिति अभी प्रति दिन 1700 ऑक्सीजन सिलेंडर की आपूति सुनिश्चित कर रही है। शहर में हमीरगढ़ स्थित सांवरिया गैस प्लांट से 850 सिलेंडर आ रहे है। इसी प्रकार किशनगढ़ से 500 व चित्तौडग़ढ़ से 350 ऑक्सीजन सिलेंडर रोजाना मंगाए जा रहे है। एक सिलेंडर में करीब सात हजार लीटर ऑक्सीजन होती है। इससे पूर्व समिति जैतारण, राजसमंद, बगरू व दरीबा से भी ऑक्सीजन सिलेंडर मंगवा रही थी।
एक सिलेंडर दस हजार का

समिति के जरिए ग्रामीण क्षेत्र के सामुदायिक व प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र में 200, एमजीएच में 410 तथा अधिग्रहित आयुष, क्षय अस्पताल व अम्बेश में 1००-1०० सिलेंडरों की आपूर्ति हो रही है। जबकि शेष सिलेंडर शहर एवं जिले के निजी चिकित्सालयों में जा रहे है। जिले में अभी करीब एक हजार गंभीर किस्म के लोग है, जिन्हें नियमित ऑक्सीजन जरुरी है। ऑक्सीजन सिलेंडर की कीमत दस हजार करीब है, लेकिन रीफलिंग शुल्क प्रति सिलेंडर दो सौ रुपए है।
जरूरत के अनुसार देते है ऑक्सीजन

आईएमए अध्यक्ष डॉ. दुष्यंत शर्मा ने बताया कि ऑक्सीजन लेबल 90 तक होने की स्थिति में प्रति मिनट एक लीटर ऑक्सीजन तक दिया जा सकता है। इससे कम होने और लेवल 75 तक होने की स्थिति में रोगी को प्रति मिनट १० लीटर तक जरुरत होती है। वेंटीलेटर पर होने पर प्रति मिनट 20 से 25 लीटर तक हो जाती है। उन्होंने बताया कि ऑक्सीजन मास्क, हाईफ्लो, बाईपेक, वेंटिलेटर व एसमो के जरिए दी जाती है, एसमो की सुविधा भीलवाड़ा में नहीं है।
मानवीय सेवा सर्वोपरि
प्रबंधन समिति प्रभारी नारायण जागेटिया बताते है कि जिला कलक्टर नकाते ऑक्सीजन की उपलब्धता की स्थिति पर लगातार नजर रखते है, कहां से और कैसे ऑक्सीजन सिलेंडर मंगाने है और आपूर्ति किस प्रकार होगी, इसके लिए समिति टीम लगातार गैस एजेंसियों व जिलों से सम्पर्क में रहती है। सरकारी व निजी अस्पतालों में ऑक्सीजन सिलेंडर की आपूति होने तक टीम मुस्तैद रहती है। टीम प्रबंधन का ही प्रयास है कि शहर एवं जिले में अभी तक ऑक्सीजन के संकट की स्थिति नहीं बनी है। टीम सदस्य समय की परवाह नहीं करते है और सभी मानवीय पहलु व समाज सेवा को दृष्टिगत रखते हुए घंटों काम करते है।
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो