scriptArtificial Intelligence a lens : खांसने की आवाज को एप में लॉक | Lock the cough sound in the app | Patrika News

Artificial Intelligence a lens : खांसने की आवाज को एप में लॉक

locationभीलवाड़ाPublished: Feb 12, 2022 08:51:39 pm

Submitted by:

Suresh Jain

दस सैकेण्ड में होगी टीबी की पहचान, 80 जनों के नमूने भेजे दिल्ली

Artificial Intelligence a lens : खांसने की आवाज को एप में लॉक

Artificial Intelligence a lens : खांसने की आवाज को एप में लॉक

Artificial Intelligence a lens : भीलवाड़ा . केन्द्र सरकार ने एक ऐसा एप्लीकेशन तैयार किया है, जिसके माध्यम से मात्र 10 सैकेण्ड में खांसी की आवाज से टीबी की पहचान हो सकेगी। फील्डी नामक एप के माध्यम से खांसने की आवाज से बीमारी का पता चलेगा। इस एप की मदद से कफ साउंड आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस बेस्ड सॉल्यूशन टू डिटेक्ट टीबी प्रोग्राम के तहत ट्रायल शुरू किया है। इसके तहत भीलवाड़ा जिले के 12 टीबी यूनिट से करीब 80 जनों के नमूने लेकर जांच के लिए दिल्ली भिजवाए गए है। अब तक सरकारी अस्पतालों में टीबी यानी बलगम की जांच एक्सरे या सीबी नाइट मशीन से लगाया जाता है। अब खांसने की आवाज मात्र से ही बीमारी का पता चल जाएगा।

टीबी कब कलेक्शन की एप फील्डी से यह एक आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस एक लैंस है, जो खांसी के आवाज के नमूने मात्र से टीबी का पता लगाएगी। पायलट प्रोजेक्ट के तहत देशभर में खांसी की आवाज के नमूने एकत्रित किए गए है। इसमें टीबी के सक्रिय मरीज व उसके स्वजन और टीबी मरीज के सम्पर्क में आए लोग शामिल है।
जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ प्रदीप कटारिया ने बताया कि केंद्र सरकार ने 2025 तक टीबी के समूल नाश का लक्ष्य रखा है। टीबी के अधिक से अधिक रोगियों को खोज कर उन्हें स्वस्थ बनाने पर जोर दिया जा रहा है।
तीन बार खांसने की आवाज रिकॉर्ड
डॉ. कटारिया ने बताया कि दिल्ली से मिले एप लिंक के माध्यम से टीबी मरीज और संभावित टीबी मरीज की आवाज 7 बार रिकॉर्ड की गई। हर बार आवाज अलग-अलग तरीके से रिकार्ड की गई है। नमूने लेने के लिए जिले की १२ टीबी यूनिट के कर्मचारी पहुंचे। व्यक्ति की सहमति लेने के बाद एप को चालू कर 30 सैकेण्ड की आवाज रिकॉर्ड की गई।
दो हफ्ते से ज्यादा खांसी है तो टीबी संदिग्ध
कटारिया ने बताया कि दो हफ्ते से ज्यादा किसी को खांसी रहती है तो टीबी का संदिग्ध रोगी माना जाता है। टीबी है या नहीं इसका पता बलगम की जांच से होता है। कुछ लोग इससे बचने के लिए जांच ही नहीं कराते, कई बार टीबी पहली स्टेज से आगे पहुंच जाती है। मल्टी ड्रग रेजिस्टेंस टीबी के रोगियों की संख्या बढऩे का एक कारण यह भी है। टीबी रोगियों की मृत्यु का कारण भी समय पर जांच व उपचार शुरु ना करना है।
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो