scriptLok Sabha Bhilwara Result: जन के ‘आदेश’ पर खरा उतरने पर रिकॉर्ड जीत होगी सार्थक | Mandate of Bhilwara | Patrika News

Lok Sabha Bhilwara Result: जन के ‘आदेश’ पर खरा उतरने पर रिकॉर्ड जीत होगी सार्थक

locationभीलवाड़ाPublished: May 24, 2019 06:53:44 pm

Submitted by:

tej narayan

भीलवाड़ा का जनादेश प्रदेश और जिले के लिए कई रिकॉर्ड कायम कर गया।

Mandate of Bhilwara

Mandate of Bhilwara

जयप्रकाश सिंह. भीलवाड़ा।
भीलवाड़ा की जनता ने इस बार इतिहास रच दिया। मतदाताओं को पहले से ही यहां भाजपा की जीत की उम्मीद तो थी, लेकिन जीत इतनी बड़ी होगी, किसी को अहसास नहीं था। यह देश की बड़ी जीत में शुमार हो गई। भीलवाड़ा का जनादेश प्रदेश और जिले के लिए कई रिकॉर्ड कायम कर गया।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की आंधी जिले में कांग्रेस को पूरी तरह उड़ा ले गई। गुरुवार सुबह जब ईवीएम खुली तो परिणाम देखकर लगा, जैसे मतदाताओं ने मोदी के पक्ष में पूरा मन बना रखा था। पांच माह पहले हुए विधानसभा चुनाव में संसदीय क्षेत्र की आठ में से तीन सीटें जीतने वाली कांग्रेस का सभी जगह इतना बुरा हश्र होगा, खुद पार्टी कार्यकर्ताओं ने भी नहीं सोचा था। विधानसभा चुनाव के नतीजों और मोदी लहर से भाजपा जीत को लेकर पूरी तरह आश्वस्त थी। पार्टी ने अपने उम्मीदवार की घोषणा होली के दिन ही कर दी थी, जबकि कांग्रेस में उम्मीदवारी को लेकर आखिरी समय तक असमंजस रहा। कांग्रेस के उम्मीदवार की घोषणा हुई, तो भाजपा ने भीलवाड़ा सीट को अपनी झोली में मान लिया। शायद यही कारण रहा कि पूरे चुनाव अभियान के दौरान जिले में किसी बड़े नेता की कोई सभा नहीं हुई, न ही कोई स्टार प्रचारक आया। कई कस्बों में तो पार्टी के चुनाव कार्यालय भी नहीं खुले। पार्टी ने राष्ट्रीय मुद्दों और मोदी लहर को पूरी तरह भुनाया। इधर, कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की पार्टी उम्मीदवार को लेकर नाराजगी की बात भी सामने आई। कयास लगे कि उम्मीदवार को बदला जा सकता है, पर ऐसा नहीं हुआ। मतदाताओं के मूड को भांपते हुए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने जिले में तीन सभाएं की।
पार्टी के अंदर चल रहे अन्तर्क लह और गुटबाजी के चलते खुद मुख्यमंत्री ने कारोही की सभा में विधायक रामलाल जाट और उम्मीदवार रामपाल शर्मा को एक मंच पर लाकर सुलह कराने की कोशिश भी की, पर नतीजा सिफर रहा। विधानसभा चुनाव में जीत का परचम फहराने वाली कांग्रेस को मांडल में 91553 मतों से करारी हार का सामना करना पड़ा। कांग्रेस को जातिगत वोटों की आस थी, लेकिन परिणामों से उसे निराशा ही हुई। प्रदेश में सत्तारूढ़ कांग्रेस नेताओं को भी सोचना पड़ेगा कि ऐसी क्या वजह रही कि जनता ने उन्हें पूरी तरह नकार दिया।
भारी जनादेश देने वाली भीलवाड़ा की जनता को अपने नवनिर्वाचित सांसद से काफी अपेक्षाएं हैं। जनता ने एकतरफा वोटिंग कर मोदी की नीतियों और भाजपा का एक तरह से पुरजोर समर्थन किया है। माना जाता है कि सीधे-सरल स्वभाव के भाजपा सांसद सुभाष बहेडि़या अपने निवर्तमान कार्यकाल में सदन में दमदारी से बात नहीं रख पाए। चुनावी सभाओं में कांग्रेस नेताओं ने इसे मुद्दा भी बनाया। ऐसे में जिले के लोगों को उम्मीद है कि वे इस बार संसद में भीलवाड़ा की बुलन्द आवाज बनकर सजग जनप्रतिनिधि की भूमिका और राजधर्म निभाएंगे। जन के ‘आदेश’ पर खरा उतरने पर ही उनकी रिकॉर्ड तोड़ जीत सार्थक मानी जाएगी, अन्यथा पांच साल बाद यही जनता हिसाब चुकता करने में भी देर नहीं करेगी।
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो