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श्रमिकों को रोजगार देने से रूकेगा पलायन

locationभीलवाड़ाPublished: May 31, 2020 09:50:14 am

Submitted by:

Suresh Jain

खनन, ईट, इंश्युलेशन ब्रिक्स, ट्रांसपोर्ट, टेक्सटाइल क्षेत्र में रोजगार से ही रूकेगा पलायन

Migration will stop due to employment of workers in bhilwara

Migration will stop due to employment of workers in bhilwara

भीलवाड़ा .

देश में लॉकडाउन शुरू होने के हफ्तों बाद प्रवासी मजदूर घर वापस लौटने लगे हैं। उनके इन दिनों में जो अनुभव रहे हैं उनकी वजह से शायद ही वे जल्द काम पर लौटना चाहें। उनके अपने प्रदेशों में उनके भविष्य की कोई योजना नहीं है। वाहर से आने वाले प्रवासी भी किसी तरह का काम नहीं करना चाहते है। लेकिन भीलवाड़ा जिले में कई ऐसे उद्योग क्षेत्र है जहां व्यक्ति चाहे तो बिना किसी प्रशिक्षण के रोजगार पा सकता है। जिले में खनन व टेक्सटाइल बहुत बड़ा क्षेत्र है जहां हजारों लोगों को रोजगार मिल सकता है। इसके अलावा ईट उद्योग, ट्रांसपोर्ट क्षेत्र में रोजगार के कई अवसर है।
टेक्सटाइल क्षेत्र में ८० हजार को रोजगार
भीलवाड़ा टेक्सटाइल उद्योग में लगभग ८० हजार लोगों को रोजगार मिलता है। लॉकडाउन व उद्योगों के बन्द रहने के दौरान बिहार, उत्तरप्रदेश सहित अन्य राज्यों के श्रमिक यहां से पलायन कर अपने गांव चले गए है। वही अन्य राज्यों से ५० हजार के करीब अन्य राज्यों से श्रमिक भीलवाड़ा आए है। इन श्रमिकों को रोजगार देने के लिए उद्यमी तैयार है। प्रारम्भिक तौ पर हैल्पर के रूप में इन्हें रोजगार मिल सकता है। लूम चलाने के लिए उन्हें निटरा पांवरलूम ट्रेनिग सेन्टर पर दो माह की ट्रेनिंग लेनी होगी। उसके बाद ही वे रोजगार पा सकते है।
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खनन क्षेत्र में ७० हजार को रोजगार
जिले के बिजौलिया, आसीन्द, गंगापुर, सहाड़ा, बदनोर सहित अन्य उपखण्ड क्षेत्रो में क्वाटर्स फेल्सपार, सैण्ड स्टोन, मार्बल, ग्रेनाइट, माइका सहित कई तरह का १२०० से अधिक खदाने है। इसके अलावा बड़ी खनन कम्पनियां भी है। इनमें श्रम के स्तर पर रोजगार मिल सकता है। इसके लिए खनन व्यवसायी भी रोजगार देने के लिए तैयार है।
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ईट उद्योग में १७ हजार को रोजगार
जिले में ईट उद्योग भी है। इसमें चिमनी वाले उद्योग करीब १२५-१५० है। इसके अलावा लगभग ३५० मैदानी भट्टे भी है। इनमें करीब १७-१८ हजार से अधिक लोगों को रोजगार मिलता है। लॉकडाउन के कारण कई श्रमिक अपने गांव चले गए, लेकिन ईट भट्टा मालिक लोगों को रोजगार देने को तैयार है। यह काम भी मानसून आने तक ही मिल सका है।
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ट्रांसपोर्ट नगर में १५०० को रोजगार
ट्रांसपोर्ट नगर में करीब १५० बड़ी कम्पनियां है। इसके अलावा ३०० अन्य ट्रांसपोर्ट एजेन्सिया है। इन सभी में माल को उतारने व चढ़ाने (लोडिंग व अनलोङ्क्षडग) के काम पर लगभग १५०० श्रमिक की आवश्यता होती है। यहां अधिकांश मजदूर बाहर के है जो लॉकडाउन के कारण अपने गांव चले गए है। अब ट्रांसपोर्ट कम्पनियों को मजदूरों की आवश्यकता है।
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इनका कहना है….
ट्रांसपोर्ट नगर में बाहरी श्रमिक अपने गांव चली गई है। ऐसे में अभी हर ट्रांसपोर्ट में श्रमिक की आवश्यकता है। श्रम का काम करने वाले को रोजगार मिल सकता है।
विश्व बन्धुसिंह राठौड, अध्यक्ष भीलवाड़ा गुड्स ट्रांसपोर्ट एसोसिशन
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मानसून के आते-आते श्रमिक अपने गांव चले जाते है। उसके बाद भी श्रमिकों की अवश्यकता रहती है। प्रवासी लोग इट भट्टे पर काम करना चाहे तो उन्हें आसानी से रोजगार दे सकते है।
लादूलाल पहाडिय़ा, जिला उपाध्यक्ष जिला चिमनी इट उद्योग एसोसिएशन
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चार तरह के चलते है बैंच
टेक्सटाइल क्षेत्र के चार तरह के बैंच प्रशिक्षण के चलते है। हर बैच में २०-२० सदस्य होते है। दो माह में उन्हें ट्रेनिंग देकर कुशल कारीगर बनाया जा सकता है। प्रवासी लोग अलग से ट्रेनिंग लेने चाहे तो उन्हें प्रशिक्षित किया जा सकता है।
ओमसिंह पंवार, मैनेजर निटरा पावरलूम प्रशिक्षण केन्द्र
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रोजगार के लिए ई-मेले करेंगे आयोजित
लोगों को रोजागर देने के लिए अब ई-मेले आयोजित किए जाएंगे। इसके माध्यम से लोगों को रोजगार उपलब्ध कराया जाएगा इसके लिए कई बड़ी कम्पनियों से चर्चा चल रही है। जल्द ही समय लेकर युवाओं को काम देना का प्रयास किया जाएगा।
मुकेश गुर्जर, जिला रोजगार अधिकारी
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