मोरवी में विकसित टाइल्स पार्क में कई यूनिटे लग गई हैं। अब वहां ग्राइडिंग यूनिट लगने से भीलवाड़ा का कच्चा माल सीधा वहां जाने लगा है। इसके चलते यहां की दर्जनों ग्राइडिंग यूनिटें बंद हो रही है। महंगी बिजली भी इसका बड़ा कारण बन गई है। भीलवाड़ा जिले के आसींद, मांडल, रायपुर, सहाड़ा, हमीरगढ़ क्षेत्र में क्वाट्र्ज फेल्सपार पत्थर की खानें हैं।
ग्राइडिंग यूनिट पर संकट
खदानों से निकले क्वाट्र्ज व फेल्सपार पत्थर को पीसकर पाउडर बनाया जाता है। इस पाउडर टाइल, क्रॉकरी, सैनेट्री वेयर व अन्य वस्तुएं बनती हैं। जिले में दो सौ से ज्यादा ग्राइडिंग यूनिट हैं। इनमें से ज्यादातार सरकारी प्रक्रियाओं की पेचीदगी महंगी बिजली व प्रतिस्पर्धा के कारण बंद होने के कगार पर हैं। कुछ उद्यमियों ने गुजरात में ही ग्राइडिंग यूनिट लगा दी हैं। इसके चलते पत्थर वहां भेजा जाने लगा है। इससे हजारों स्थानीय लोग भी बेरोजगार हो गए हैं।
इधर, 500 बीघा में घोषित सिरेमिक जोन अधर में जिले से क्वाट्र्ज फेल्सपार का कच्चा माल तथा पाउडर गुजरात जा रहा है। मोड़ का निम्बाहेड़ा के पास पांच सौ बीघा में सिरेमिक जोन बनाने के लिए सरकार ने भूमि आवंटन तय कर लिया। यहां उद्यमियों के लिए सुविधाएं जुटाने व जमीन रीको के नाम करने का काम अटका हुआ है। ऐसे में उद्योग नहीं लग पा रहे हैं। इस जोन में करीब पांच हजार करोड़ का निवेश होना है। यहां 200 ग्राइडिंग यूनिट, 150 टाइल्स यूनिट, 20 क्रॉकरी तथा 20 सैनेट्री वेयर की यूनिट लगाने की योजना है, लेकिन पिछली सरकार ने रुचि नहीं ली।