जिला परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी गोपालराम बिरड़ा ने बताया कि मनरेगा में 100 दिवस के कार्य से मजदूरी के साथ ही ग्रामीणों की स्थाई आजीविका का आधार हो गया है। व्यक्तिगत लाभार्थियों के खेतों में भूमि सुधार व बागवानी कार्य, जमीन समतलीकरण, तालाब की मिट्टी डालना, मेड़बन्दी, टांका व धोरा निर्माण, थोर फैंसिग व फलदार पौधारोपण कार्य करवाए जा रहे हैं। वर्ष 2019-20 में जिले में 1307 व्यक्तिगत लाभार्थियों के कार्य स्वीकृत किए गए थे। इस वर्ष प्राथमिकता के आधार पर कार्य स्वीकृत किए जा रहे हैं।
बंजर भूमि सुधार
बंजर भूमि सुधार
व्यक्तिगत लाभ के कार्यों में किसानों ने बंजर खेतों में सुधार किया है। धन की कमी के कारण किसान भूमि सुधार नही करवा पाता था। मजदूरी से प्राप्त राशि घर खर्च में ही पूरी हो जाती थी। कुछ किसान विपरित परिस्थितयों में खेतों का सुधार करने का प्रयास करते, तो जमीन गिरवी रखनी पड़ती थी। मनरेगा में खेत की क्षमता के आधार पर तखमीना तैयार कर भूमि सुधार कार्य करवाए जा रहे है। कई किसान फलदार पौधे लगाकर आय अर्जित कर रहे हैं।
लालाराम को मिला मेहनत का फल
लालाराम को मिला मेहनत का फल
शाहपुरा पंचायत समिति में अरनिया घोड़ा के लालाराम बैरवा के खेत में मनरेगा में भूमि सुधार का कार्य किया गया। उसने एक बीघा में अमरूद के 30 पौधे लगाए। पैदावार बढऩे के साथ खेत में लगाए अमरूद के पौधों से 50 हजार सालाना आय हुई है। लालाराम ने खेत में गेहू व मक्का की खेती व अमरूद उत्पादन किया। लालाराम का कहना है कि खेत सुधार के बाद अब बचत भी होने लगी है। इस बचत से खेती के साथ पशुपालन भी करने लगा है।