स्टेरॉयड के उपयोग से अब मांसपेशियों में भी आने लगी कमजोरी
भीलवाड़ा। कोरोना की दूसरी लहर का असर अब धीरे-धीरे कम होने लगा है। पिछले दो माह में १८ हजार ६०० नए केस सामने आए थे। लेकिन अब इन दिनों हर दिन संक्रमितों की संख्या में भारी कमी देखी जा रही है। हालांकि चिंता की बात ये है कि कोरोना से ठीक होने के बाद भी लोगों को कई परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। ऐसी परेशानियों को डॉक्टर लॉन्ग कोविड का नाम दे रहे हैं। यानी वो बीमारियां जो कोरोना के बाद लोगों को लंबे समय तक परेशान करती हैं। डॉक्टरों का कहना है कि कोरोना उपचार के दौरान लंबे समय तक स्टेरॉयड के उपयोग करने से कोरोना मरीजो की मांसपेशियों की ताकत कम हो गई है। ये ऐसे मरीजों में होता है जिन्हें स्टेरॉयड दी गई हो। साथ ही जिन्हें लंबे समय तक बेड रेस्ट की सलाह दी गई हो। हड्डियों पर नुकसान आईएमए अध्यक्ष डॉ. दुष्यन्त शर्मा ने बताया कि लंबे समय तक बीमारियों और कई हफ्तों तक बेट रेस्ट के चलते शरीर की सभी प्रणालियां प्रभावित होती हैं। इनमें से एक है मस्कुलोस्केलेटल सिस्टम है। थकान, मांसपेशियों में दर्द और जोड़ों का दर्द जैसे लक्षण कोरोना के बाद आम है और इसका प्रसार अब लगातार बढ़ रहा है। शर्मा के अनुसार लंबे समय तक बिस्तर पर आराम करने से हड्डियां और मांसपेशियां कमजोर हो सकती हैं। ऐसे में गंभीर बीमारी के बाद ठीक होने में लंबा समय लग सकता है। या मांसपेशियों की ताकत हासिल करने में कम से कम छह सप्ताह या उससे अधिक समय लगता है। कोरोना के कारण अस्पताल में भर्ती रहने या जिन्हें घर पर बिस्तर पर आराम करने की सलाह दी गई है, उनके लिए खड़ा होना, चलना या एक्टिव होना मुश्किल हो सकता है। इलाज में स्टेरॉयड के इस्तेमाल से भी परेशानी हो सकती है। वैसे स्टेरॉयड का एक छोटा कोर्स किसी भी समस्या का कारण नहीं बनता है, लेकिन कई मरीज लंबे समय तक स्टेरॉयड थेरेपी पर रहते हैं। ऐसे मरीजों में ऑस्टियोपोरोसिस और गठिया में वृद्धि का खतरा हो सकता है। इससे बचने के लिए कुछ घरेलु भी कारगर साबित हो सकते है। हल्दी वाला दूध, देसी घी, उच्च प्रोटीन आहार और लहसुन जोड़ों को चिकनाई और मजबूती प्रदान करने में मदद करते हैं। ग्लूकोसामाइन, करक्यूमिन जैसी कुछ दवाएं भी मदद करती हैं, लेकिन इसके बारे में डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए। शर्मा ने बताया कि इस तरह के मामले सामने आ रहे है।