excess rain कृषि विशेषज्ञों का मानना है कि सरसों का रकबा इस साल चने और गेहूं में डायवर्ट होगा। अतिवृष्टि से इस साल खरीफ में सोयाबीन, मक्का, मूंग, उड़द, तिल की फसल खराब हो चुकी है। अब किसानों को रबी से उम्मीद है, लेकिन पानी भरा होने से खेत खाली नहीं हो पा रहे हैं। किसान न हंकाई करा पा रहे हैं और न बुवाई। सरसों की बुवाई को 3० डिग्री तक तापमान की जरूरत होती है। यह तापमान 15 अक्टूबर तक रहता है। इसके बाद पारा गिरने लग जाता है। यदि तब सरसों की बुवाई की जाए तो अंकुरण नहीं हो पाता है।
इस साल सरसों के साथ ही चना और धनिया की बुवाई भी देरी से ही होगी। खेतों में नमी होने से से गेहूं की फसल को खासा फायदा मिलेगा। जहां किसान 3 से 4 बार पानी देते हैं, वहां दो से 3 बार ही पानी देना पड़ेगा।
दो साल से लगातार सरसों की बुवाई और उत्पादन बढ़ा है। वर्ष २०१७-१८ में सरसों ३९,२९९ हैक्टेयर में बोई और ५१, ६६२ टन उत्पादन हुआ। वर्ष २०१८-१९ में 3२,7४४ हैक्टेयर में बुवाई और ६१ हजार मीट्रिक टन उत्पादन हुआ। इस साल ६१,८५० हैक्टेयर बुवाई का लक्ष्य है, लेकिन यह शुरू नहीं हुई है।
सरसों बुवाई 15 अक्टूबर तक होती है। इस समय तक 3० डिग्री तापमान रहता है जो उसके लिए उचित होता है। इस साल खेतों में पानी भरा होने से किसान सरसों बो नहीं पा रहे हैं, लेकिन गेहूं की फसल के लिए खेतों को बेहतर नमी मिल जाएगी।
रामपाल खटीक, उपनिदेशक कृषि विभाग
गेहंू १२४४५०
जौ २५५५०
चना ४५७५०
मसूर ६४००
सरसों ६१८५०
तारामीरा ४५००
जीरा २१५०
अन्य ८५००
योग २७९१५०