करीब १०० परिवारों के इस गांव के बड़े बुजुर्गों की मान्यता है कि मुख्य द्वार पर दरवाजा नहीं लगाने की परंपरा को जिस किसी ने तोडऩे की कोशिश की, उसके हालात बुरे हो गए। राजपूत समाज की बहुलता वाले इस गांव में बड़े व खूबसूरत मकान बने परंतु इनके मुख्य द्वार पर न दरवाजे हैं और न पालतू जानवरों को रोकने को लोहे के फाटक। हालांकि घरों में अंदर के कमरों में दरवाजे हैं। गांव के शंकर सिंह ने बताया कि पूर्वजों के अनुसार ढाई सौ साल पहले महात्मा भगवानदास गांव के नजदीक उवली नदी के किनारे शिव मंदिर में तपस्या करते थे। महात्मा ने अनवासा नीम का खेड़ा में जिंदा समाधि ली थी। उससे पहले उन्होंने लोगों से कहा था कि अपने मकानों के मुख्य द्वार पर दरवाजा मत लगाना। इससे गांव में सुख, शांति एवं समृद्धि बनी रहेगी।
सारण का खेड़ा में दशकों से चोरी जैसी कोई वारदात नहीं हुई। गांव पर महात्मा का आशीर्वाद है। रणजीत सिंह शक्तावत, सरपंच महुआ