भूजल पुनर्भरण शुल्क पर आपत्ति
केंद्र को मेवाड़ चेम्बर ने लिखा पत्र

भीलवाड़ा।
मेवाड़ चेम्बर ऑफ कॉमर्स एण्ड इण्डस्ट्री ने जलशक्ति मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत को पत्र लिखा। इसमें उद्योग-माइनिंग पर भूजल पुनर्भरण शुल्क लगाने एवं भूजल निकासी पर इम्पेक्ट एसेसमेन्ट रिपोर्ट दाखिल करने के आदेश पर एतराज जताया है। इन प्रावधान में बदलाव की मांग की।
चेम्बर महासचिव आरके जैन ने बताया कि मंत्रालय ने उद्योगों को भूजल उपयोग की एनओसी लेने व मौजूदा उद्योगों को 30 दिसम्बर 2020 तक इम्पेक्ट एसेसमेन्ट रिपोर्ट, वाटर ऑडिट रिपोर्ट दाखिल करना अनिवार्य किया। एेसी रिपोर्ट बनाने के लिए देश में 200 ऑडिटर है जबकि उद्योग हजारों है। 26 अक्टूबर के आदेश के अनुसार, 2 माह में सभी उद्योगों को रिपोर्ट बनाना संभव नहीं है। इसकी अवधि 31 दिसम्बर 2022 तक बढ़ाए। चेम्बर ने लिखा कि पेनल्टी का काम दो साल हटाया जाए। मालूम हो, मंत्रालय ने रिपोर्ट दाखिल नहीं करने पर पेनल्टी का नियम बनाया है।
१५ से ३० लाख सालाना
उद्योग, माइनिंग एवं वाणिज्यिक उपयोग के लिए 10 क्यूबिक मीटर प्रतिदिन से अधिक पर जल पुर्नभरण शुल्क है। उद्योगों पर शुल्क 10 रुपए प्रति एक हजार लीटर है। सामान्य गणना के अनुसार भीलवाडा में टेक्सटाइल, माइनिंग एवं अन्य उद्योगों को 15 से 30 लाख रुपए प्रतिवर्ष यह शुल्क देना होगा। चेम्बर ने कहा कि यह शुल्क दो वर्ष स्थगित किया जाए।
यह दिया तर्क
चेम्बर ने कहा है कि अधिकांश उद्योग अपने निकले पानी का शुद्धीकरण कर पुनर्उपयोग करते है। साथ ही सभी उद्योगों में रेन वाटर हार्वेस्टिंग के इन्तजाम हैं। उद्योगों को पुनर्भरण के लिए भूजल उपयोग में 50 प्रतिशत की छूट है, जिसे 80 प्रतिशत किया जाए।
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