भीलवाड़ा का नाम सुनते ही मरीज को प्राथमिकता से देखते थे
भीलवाड़ाPublished: Jun 12, 2021 09:03:20 pm
डा. पनगडि़या ने सुवाणा में कई जनहित के कार्य करवाए
भीलवाड़ा का नाम सुनते ही मरीज को प्राथमिकता से देखते थे
भीलवाड़ा।
मूल रूप से सुवाणा निवासी प्रसिद्ध न्यूरोलॉजिस्ट डा. अशोक पनगडि़या का जीवन भर अपने गांव और भीलवाड़ा के लोगों के प्रति स्नेह रहा। उन्होंने अपने गांव में पिता की स्मृति में कई जनोपयोगी कार्य करवाए, वहीं जयपुर में उनके पास कोई भीलवाड़ा का मरीज उपचार के लिए पहुंचता तो उसे प्राथमिकता से देखते थे। उनके निधन की सूचना से सुवाणा और भीलवाड़ा में शोक छा गया। पिछले कई दिनों से यहां के उनके स्वस्थ होने के लिए पूजा अर्चना और दुआ कर रहे थे।
डॉ. पनगडिय़ा के भाई अरविंद पनगडिय़ा राष्ट्रीय नीति आयोग के उपाध्यक्ष भी रहे हैं। सुवाणा गांव में आज भी उनका पुश्तैनी मकान है। दोनों भाइयों ने सुवाणा में अपने पिता बालूलाल पनगडिय़ा की स्मृति में पुस्तकालय एवं वाचनालय बनवाया है। इसके अलावा भी उन्होंने यहां कई कार्य करवाए। जब अरविन्द पनगडिय़ा नीति आयोग के उपाध्यक्ष थे, तब उन्होंने सुवाणा का दौरा किया था।
गांव से जुड़ाव बना रहा
चिकित्सकीय कार्य में काफी व्यस्त रहने के बावजूद पनगडि़या परिवार ने अपने गांव से नाता नहीं तोड़ा था। वे अक्सर परिजनों के साथ सुवाणा आते थे। डॉ. पनगडिय़ा के लगातार सम्पर्क में रहे सुवाणा जैन समाज के उपाध्यक्ष प्रकाश चपलोत ने बताया कि डॉ. पनगडिय़ा पत्नी मीना, पुत्र अरिहन्त, पुत्री एवं मित्रों के साथ अंतिम बार सितम्बर २०१७ में सुवाणा आए थे। इस दौरान उन्होने जैन स्थानक में हॉल के निर्माण के लिए १.२१ लाख रुपए, श्री मातेश्वरी गो सेवा समिति सुवाणा की ओर से संचालित गौशाला में चारे के लिए ५१ हजार रुपए दिए थे। गांव के इंजीनीयर भैरू लाल जाट ने बताया कि डॉ. पनगडिया के जयपुर स्थित निवास पर सुवाणा ही नही बल्कि भीलवाड़ा जिले का कोई भी मरीज उपचार के लिए जाता था तो वे उसका प्राथमिकता से उपचार करते थे। कई गरीब मरीजों को निशुल्क दवा भी उपलब्ध कराते थे।
सुवाणा के पुस्तकालय अधिकारी देवी लाल चौधरी ने बताया कि डॉ. पनगडिया अपने भाई प्रो.अरविन्द पनगडिय़ा के साथ वर्ष 2010 में सुवाणा आए थे। उन्होंने गांव के राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय में स्मार्ट क्लास बनाने के लिए एक लाख रुपए दिए। उन्होंने पंचायत समिति में अपने पिता बालू लाल पनगडिय़ा की स्मृति में पुस्तकालय कक्ष की नींव रखी थी। नवनिर्मित पुस्तकालय भवन का लोकार्पण 15 अगस्त 2014 को उनकी बुआ और पत्नी मीना ने किया था। डॉ. पनगडिय़ा ने वर्ष 2007 को अपने माता-पिता की स्मृति में सुवाणा गांव में बालाजी, शिव मन्दिर एवं सिंदरी के बालाजी मन्दिर का जीर्णोद्वार कार्य करवाया था।