खेतों में जहां कई लोगों ने झोपड़ी बना ली है, वहीं कई लोगों ने तम्बू तान रखे हैं। उनका यहीं पर खाना-पीना और उठना बैठना हो रहा है। किसानों का कहना है कि इस बार मावठ पड़ने से फसल को लेकर चिंता हो गई थी, लेकिन पिछले कुछ दिनों से मौसम साफ है। ऐसे में इस बार फसल अच्छी रहने की उम्मीद है। इस बार पौधे ज्यादा लम्बे हो गए है, ऐसे में उन्हें नीचे गिरने से रोकने के लिए पूरे खेत में क्यारीनुमा रस्सी बांधी गई है। नारकोटिक्स विभाग औसत उपज पर ही अगले साल की खेती के लिए लाइसेंस जारी करता है, ऐसे में किसान प्रयास कर रहे हैं कि उनकी फसल से अधिक से अधिक अफीम निकलें।
खेतों में जंगली जानवरों और पक्षियों से डोडे और फसल के बचाव के लिए किसान देशी उपाय कर रहे है। कई किसान गोपण से पक्षियों खासकर तोते को भगा रहे हैं, वहीं जंगली जानवरों को भगाने के लिए पीपे भी बजा रहे है। कुछ जगह अफीम के चारों तरफ गेहंू, सरसों, चना, मटर और अन्य फसलें भी बोई गई, ताकि पशु आसानी से अफीम तक नहीं पहुंच सकें।
खेतों में दिख रहे ओजाका
फसल को बचाने के लिए किसानों ने जगह-जगह खेतों में ओजाका लगा रखे है। इसे देखकर भी पशु-पक्षी फसल में नहीं घुसते।
पटाखें भी चला रहे
सवाईपुर के किसान गोविंद आचार्य व सुरेश अचार्य बताते हैं कि खेतों में पक्षियों को भगाने के लिए किसान लोहे के पीपे बजाते हैं। कई जगह किसान पक्षियों व जानवरों को भगाने के लिए पटाखे भी चला़ रहे हैं