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भीलवाड़ा डेयरी को पहले भी बन्द करने के हुए थे आदेश

locationभीलवाड़ाPublished: Mar 23, 2019 06:56:56 pm

Submitted by:

Suresh Jain

– राजस्थान प्रदूषण नियंत्रण मंडल के आदेश की प्रशासन ने नहीं की पालना- कोठारी नदी में दूषित पानी छोडऩे का मामला

Order to close Bhilwara Dairy earlier too in bhilwara

Order to close Bhilwara Dairy earlier too in bhilwara

भीलवाड़ा।

कोठारी नदी में दूषित पानी छोडऩे पर पौने चार पहले भी राजस्थान राज्य प्रदूषण नियंत्रण मंडल जयपुर ने भीलवाड़ा डेयरी को बन्द करने के जारी किए कर दिए थे। हालांकि जिला प्रशासन इसकी पालना नहीं करवा सका था। हालांकि प्रदूषण नियंत्रण मंडल ने बिना आदेश की पालना के कन्सेंट टू ऑपरेट (चलाने की अनुमति) की अनुमति तक जारी कर दी थी। इससे उलट भीलवाड़ा, पाली, बालोतरा के प्रोसेस हाउस बन्द करने के आदेशों की पालना २४ घंटे के दौरान की गई थी। अब बालोतरा में सवा सौ से अधिक प्रोसेस हाउस व अन्य उद्योगों को एनजीटी के आदेश पर बन्द करने के नोटिस जारी किए गए हैं।
भीलवाड़ा डेयरी ने वर्ष २०१५ में भी कोठारी नदी में दूषित पानी छोड़ा था। इस मामले को भी राजस्थान पत्रिका ने उठाया था। इसके बाद प्रदूषण नियंत्रण मंडल के सदस्य सचिव केसीए अरुण प्रसाद ने २१ मई २०१५ को दो अलग-अलग आदेश जारी किए थे। एक में डेयरी चलाने की अनुमति निरस्त कर सूचना प्रबन्धक को दी थी। दूसरे में कोठारी नदी में दूषित पानी छोडऩे, प्रदूषण रोकने के लिए ठोस कदम नहीं उठाने व कानून की पालना नहीं करने पर प्लांट को बन्द करने के आदेश दिए गए थे। इसकी प्रति जिला कलक्टर को जारी कर आदेश की पालना करवा रिपोर्ट देने को कहा गया था। अजमेर डिस्कॉम के अधीक्षण अभियन्ता को विद्युत सप्लाई काटने को कहा गया था। प्रदूषण नियंत्रण मंडल के तत्कालीन क्षेत्रीय अधिकारी से डीजे सेट सील कर क्लोजर रिपोर्ट मांगी गई थी।
इस आदेश के बाद भीलवाड़ा डेयरी में हड़कम्प मच गया था। स्थनीय अधिकारी इस मामले में कार्रवाई करने के बजाय डेयरी बन्द करने के आदेश को वापस लेने के लिए उच्च अधिकारियों से सम्पर्क करने में लग रहे थे। मंडल ने डेयरी प्रबन्धक को निर्देश दिए थे कि वे आदेश की पालना नहीं करते हैं, तो एक से छह साल तक की सजा व जुर्माना हो सकता है। हालांकि मंडल ने इस आदेश को वापस तो नहीं लिया, लेकिन कुछ माह बाद ही भीलवाड़ा डेयरी को कन्सेंट टू ऑपरेट की अनुमति जारी कर गई। डेयरी के संचालन के लिए दो लाख लीटर प्रतिदिन की अनुमति है, लेकिन ३.५० लाख लीटर से अधिक दूध प्रतिदिन आ रहा है। ईटीपी अपनी क्षमता से नहीं चलने से दूषित पानी कोठारी नहीं में छोड़ा जाने लगा।
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