Credit Co-operative Societies सहकारिता विभाग में अभी १५ सोसायटियां पंजीकृत है। इनमें पांच बंद हो चुकी। इनमें ५० करोड़ रुपए अटके हैं आज भी दस सोसायटियों में करोडो़ं रुपए जमा है। हालांकि इनके खिलाफ अभी शिकायत नहीं आई है। इनमें रिद्धी सिद्धी, सीरत केश, कामधेनु, हीरामणि, भीलवाड़ा महेश, भावना क्रेडिट, संस्कार क्रेडिट, महेश अरबन, कौटिल्य तथा रामकुमार शामिल है।
Credit Co-operative Societies महिला अरबन को-आपरेटिव बैंक में २४ हजार खाताधारको के ६० करोड़ रुपए अटके हैं। इस बैंक में ऋण घोटाला करने वाले वे ही लोग है जो पहले कभी किसी नाम से क्रेडिट सोसायटियों का संचालन करते थे। इसी तरह कुछ वर्ष में सहारा इंडिया, पीयरलेस, पर्ल, आदर्श क्रेडिट सोसायटी, संजीवनी, नवजीवन, सर्वोदय क्रेडिट को-आपरेटिव सोसायटी, लक्ष्मी सोसायटी, ऐंजल क्रेडिट सोसायटी, एसडी क्रेडिट, बीआरडी में लोगों का करोड़ों रुपए फंसा है। इन सोसायटियों में ३०० करोड़ रुपए अटके पड़े हैं।
इनकी भी गारंटी नहीं
विभिन्न समाज भी सामाजिक बचत बैंक चलाते हैं। ऐसे बचत बैंक शहर व जिले में दर्जन भर हैं। इनमें कुछ का पंजीयन भी नहीं है। इसके अलावा कई युवा अपनी छोटी बचत जमा कर बीसी चलाते हैं। इसमें हर माह कुछ राशि जमा कराई जाती है। बीसी हर माह खोली जाती है। जरूरतमंद को ब्याज पर जमा राशि में से कुछ राशि ऋण देते है लेकिन यह राशि वापस आएगी, इसकी गारंटी नहीं होती है। ऐसी बीसी शहर में सैकड़ों चल रही है।
लालच में धोखा
बैंक बचत खाते पर ४ प्रतिशत ब्याज देता है लेकिन पैसा सुरक्षित है। लोग अधिक ब्याज के लालच में ऐसी क्रेडिट सोसायटियों में निवेश करते है, जिनके बारे में खुद भी पूरा नहीं जानते है। ऐसी सोसायटियों में पेंशन राशि जमा कराने के लिए रिश्तेदार ही दबाव डालते है। बाद में वह राशि भी डूब जाती है।
धर्मेन्द्र वर्मा, प्रबन्धक भीलवाड़ा अरबन बैंक