परिषद, सामाजिक संगठनों व गोशालाओं के साथ मिलकर आवारा मवेशियों को हटाने का बड़े स्तर पर अभियान चलाना था, लेकिन कुछ नहीं हुआ। स्थिति यह है कि शहर की एक भी एेसी सड़क नहीं है, जहां आवारा मवेशी नहीं है। एेसे में दुपहिया वाहन चालकों को बड़ी परेशानी होती है। पिछले एक साल में छह जनों की मौत पशुओं से टकराने की वजह से हो चुकी है। इसमें भीलवाड़ा के मेडिकल कॉलेज का एक छात्र भी शामिल है।
कायन हाउस में गायें, कोई लेने को तैयार नही परिषद के कायन हाउस में जो गायें हैं, इन्हें गोशाला वाले लेने को तैयार नहीं है। उनका तर्क है कि गायों को रखने के लिए उनके पास जगह और सुविधाएं नहीं है।
ये पांच काम हो तो मिल सकती है राहत 1. सड़कों मंडराते आवारा मवेशियों के सींग पर रिफ्लेक्टर लगाए जाएं। स्वयंसेवी संगठन एेसा करें तो रात में दुर्घटनाओं से बचा जा सकता है।
2. कई लोग दूध निकालने के बाद गायों को सड़कों पर छोड़ देते हैं। इन गायों को कायन हाउस में ले जाया जाए। गायों के मालिकों का पता लगाकर जुर्माना किया जाए।
3. प्रमुख चौराहों पर कई लोग चारा बेचते हैं। वहां गायों का जमावड़ा रहता है। यह चारा बेचने वाले शहर से बाहर बैठे, ताकि मवेशी नहीं मंडराए।
4. शहर के आसपास की गोशालाओं को 50 से 100 तक गायें दी जाएं। एेसा होने पर कायन हाउस फिर खाली होगा। इसके बाद शहर से गायें और ले जाई जा सकती हैं।
5. आवारा मवेशी के मामले में शहर के जनप्रतिनिधि, सामाजिक संगठन आए आएं। वे आर्थिक मद करें तो इस समस्या से निजात मिल सकती है। चलाया था अभियान, करेंगे जुर्माना शहर को आवारा पशुओं से मुक्त करने के लिए अभियान चलाया था। कुछ लोग इन्हें घर में रखने के बजाय सुबह सड़कों पर छोड़ देते हैं। अब इनके मालिकों पर जुर्माना किया जाएगा। मोहम्मद नसीम शेख, आयुक्त, नगर परिषद