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दो दशक में भी नहीं मिली पदोन्नति, हो गए कई रिटायर

locationभीलवाड़ाPublished: May 26, 2020 09:35:14 pm

दो दशक से प्रदेश के तेईस सौ पुस्तकालयध्यक्ष पदोन्नति की राह तक रहे है, लम्बे संघर्ष के बावजूद पुस्तकालयध्यक्ष की आस पूरी नहीं हो सकी है। पुस्तकालयध्यक्षों की पीड़ा है कि सेवा नियमों में तकनीकी खामी बताकर 2001 के बाद पुस्तकालय अध्यक्षों की नियमित पदोन्नति प्रक्रिया को रोकना दुर्भाग्यपूर्ण है। विडम्बना यह भी है कि कई तो पदोन्नति मिलने की आस में ही सेवानिवृत्त हो गए।

Promotion not received in two decades, many retirees

Promotion not received in two decades, many retirees

भीलवाड़ा। दो दशक से प्रदेश के तेईस सौ पुस्तकालयध्यक्ष पदोन्नति की राह तक रहे है, लम्बे संघर्ष के बावजूद पुस्तकालयध्यक्ष की आस पूरी नहीं हो सकी है। पुस्तकालयध्यक्षों की पीड़ा है कि सेवा नियमों में तकनीकी खामी बताकर 2001 के बाद पुस्तकालय अध्यक्षों की नियमित पदोन्नति प्रक्रिया को रोकना दुर्भाग्यपूर्ण है। विडम्बना यह भी है कि कई तो पदोन्नति मिलने की आस में ही सेवानिवृत्त हो गए।
राजस्थान पुस्तकालय सेवा परिषद (राजलिसा) से सम्बृद्ध पुस्तकालयध्यक्ष शिक्षा निदेशालय, सचिवालय तथा लोक सेवा आयोग में सेवा नियमों में तकनीकी खामी को दूर करने के लिए सालों से चक्कर लगा रहे है। सरकार ने नौ सूत्रीय मांगों को न्योचित मानते हुए इसके बाद सेवा नियमों में संशोधन के लिए 2012 में प्रक्रिया शुरू भी की। इनमें पदोन्नति प्रक्रिया की फ ाइल सचिवालय में सालों से ही घूम रही हे। जिसमें शारीरिक शिक्षक, चित्रकला कला शिक्षक, पुस्तकालय अध्यक्ष, प्रबोधक तथा स्कूल व्याख्याता व प्रधानाध्यापक की प्रधानाचार्य पदोन्नति प्रक्रिया है। संगठन ने मुख्यमंत्री से पदोन्नति प्रक्रिया प्रारंभ करने की शीघ्र स्वीकृति दिलाने का अनुरोध किया है। लंबे समय से पुस्तकालय अध्यक्षों की पदोन्नति नहीं होने से अधिकांश पुस्तकालय अध्यक्ष इसी पद से रिटायर हो चुके हैं। प्रदेश में प्रथम श्रेणी के कुल ४१ पद में से ४० खाली है, द्वितीय श्रेणी में 1225 में से 562 तथा तृतीय श्रेणी के 3012 पद में से 1125 खाली है।
नई भर्ती भी अटकी है
पुस्तकालय अध्यक्षों की वर्ष 1998 के बाद वर्ष 2017 में कर्मचारी चयन आयोग ने प्रतियोगिता परीक्षा के माध्यम से 562 पुस्तकालय अध्यक्ष को ग्रेड थर्ड में नियुक्ति दी। इसके बाद 700 ग्रेड थर्ड के पुस्तकालय अध्यक्षों की नियुक्ति होनी है। इसके लिए दो बार परीक्षा तिथि घोषित होने के बाद स्थगित हो चुकी है। फिर दिसंबर 2019 में भर्ती परीक्षा हुई भी। लेकिन पेपर आउट होने के कारण संपूर्ण परीक्षा रद्द कर दी गई। इसके बाद नई तिथि इसी साल घोषित होनी थी। लेकिन कोविड.19 के कारण यह परीक्षा नहीं हो पा रही हैं। योग्यताधारी बेरोजगार पुस्तकालय अध्यक्षों की नियुक्ति का 3 साल से इंतजार कर रहे हैं।
हरी झंडी की उम्मीद
राजलिसा जिलाध्यक्ष अरविंद जोशी ने बताया कि 20 वर्षों से पदोन्नति का इंतजार कर रहे हैं। इसके लिए विभिन्न स्तरों पर ज्ञापन देकर सरकार के समक्ष हमन अपनी पीड़ा रख चुके हैं। अब मुख्यमंत्री स्तर से स्वीकृति मिलने का इंतजार हैं।
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आयोग के आदेश के बावजूद यूआईटी की अनदेखी
भीलवाड़ा. आठ साल पूर्व तोड़ी गई दुकान के मुआवजे व निस्तारण को लेकर राज्य मानवाधिकार आयोग के आदेश के बावजूद परिवादी न्याय के लिए एक साल से नगर विकास न्यास में भटक रहा है। पंचवटी कॉलोनी निवासी परमानन्द सिंधी ने बताया कि परिवादी की नेहरू रोड स्थित दुकान का अधिकांश हिस्सा न्यास ने रोड के चौडीकरण के दौरान २१ सितम्बर २०१२ को तोड़ दिया था, न्यास ने तोड़ी गई दुकान के बदले न्यास क्षेत्र में भूमि देने के लिए लिखित में आश्वस्त किया, लेकिन आठ साल बीत गए, न्यास ने जमीन दी और ना ही कोई मुआवजा दिया। परमानन्द ने बताया कि इस संदर्भ में राज्य सरकार, यूडीएच को भी शिकायतें की जा चुकी है। राज्य मानवाधिकार आयोग में इस संदर्भ में परिवाद पेश किया। आयोग ने २६ अप्रेल २०१९ को प्रकरण में फैसला सुनाते हुए न्यास को दो माह के भीतर प्रकरण का निस्तारण नहीं करने पर दो लाख रुपए जुर्माना राशि तथा मौजूदा डीएलसी दर पर भूखंड की कीमत चुकाने के आदेश दिए। इसके बावजूद आयोग के आदेश की पालना न्यास नहीं कर सका। दूसरी तरफ न्यास अधिकारियों का कहना है कि प्रकरण विचाराधीन है।
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